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Pakistan Political Crisis: जानिए क्या है अनुच्छेद 5, जिसकी वजह से बच गई इमरान की कुर्सी और खारिज हो गया अविश्वास प्रस्ताव

IMRAN KHAN

नई दिल्ली। इमरान खान…पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं…लेकिन पिछले कुछ दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल को देखने के बाद ऐसा लग रहा था कि मानो अब वे ज्यादा दिनो इस कुर्सी पर आसीन रहने वाले नहीं हैं। एक-एक कर सभी विपक्षी दलों ने पहले तो मुख्तलिफ मसलों का हवाला देकर उनकी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोला और फिर जब इससे भी उनका मन न भरा तो इमरान को वजीर-ए-आजम की कुर्सी से बेदखल करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव ले आए। वहीं, आज इस अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी, लेकिन इसे शायद इमरान की खुशकिस्मती ही कहेंगे कि उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पारित होने से पहले ही खारिज कर दिया गया। जिसके बाद इमरान खान राहत की सांस लेते हुए नजर आए। आखिर ले भी क्यों ना। वजीर-ए-आजम की कुर्सी पर मंडरा खतरा जो टल गया है, लेकिन अभी यह खतरा पूरी तरह से नहीं टला है। अभी उनकी चुनौतियां किसी ब्रेक पर गई है, जो फिर से लौटेंगी। बता दें कि 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान में मध्यावधि चुनाव होने हैं, जिसमें उन्हें जनता के बीच खुद की स्वीकारिता को साबित करना होगा। अगर वो इसमें सफल रहे तो वे फिर से वजीर-ए-आजम की कुर्सी पर विराजमान होने में सफल रहेंगे, अन्यथा उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है।

खैर, यह सारी बातें तो भविष्य के गर्भ में छुपी है, लेकिन इस बीच पाकिस्तानी संविधान में प्रस्तावित किए गए अनुच्छेद 5 की जमकर चर्चा हो रही हो। आखिर हो भी क्यो ना, क्योंकि अनुच्छेद 5 आपके लिए महज अनुच्छेद 5 हो सकता है, लेकिन पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम के लिए यह मात्र अनृच्छेद नहीं है, अपितु नवीन जीवन है, क्योंकि इसी अनुच्छेद की वजह आज उनकी सत्ता महफूज है। अगर आज वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं, तो इसका पूरा श्रेय अनुच्छेद 5 को जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या है इस अनुच्छेद में, जिसने इमरान की डूबती नैया को तिनके का सहारा दे दिया। आइए जानते हैं।

पाकिस्तानी सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी की मानें तो अनुच्छेद 5 (1) के तहत राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पहले के दावों को दोहराया कि सरकार को हटाने के कदम के पीछे विदेशी साजिश बताया है। चौधरी ने कहा कि 7 मार्च को हमारे आधिकारिक राजदूत को एक बैठक में आमंत्रित किया गया था, जिसमें अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. बैठक में बताया गया था कि पीएम इमरान के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया जा रहा है। हमें बताया गया था कि यदि प्रस्ताव विफल हो जाता है, तो पाकिस्तान के लिए आगे का रास्ता बहुत कठिन होगा। चौधरी ने आरोप लगाया कि यह एक विदेशी सरकार का ऑपरेशन है, जिसे ध्यान में रखते हुए इमरान के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। खैर, इमरान जरूर अपने खिलाफ लाए गए अविश्वस प्रस्ताव के खारिज होने पर राहत की सांस ले रहे होंगे, लेकिन अभी उनके समक्ष आगामी चुनाव में खुद को साबित कर फिर वजीर-ए-आजम की कुर्सी पर विराजमान होने की चुनौती है। अब ऐसे में इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी कि वे अपनी कुर्सी बचा पाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

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