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Shiv-Nandi: शिव को नंदी क्यों हैं इतने प्रिय, वजह जानकर आपके मन में भी उमड़ आएगा प्रेम

Shiv-Nandi: नंदी को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आते हैं, जैसे नंदी का मुख हमेशा शिव की ओर ही क्यों होता है?  लोग नंदी के कानों में अपनी मन्‍नत मांगते हैं? नंदी शिव को इतने प्रिय क्यों हैं? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो हम आपको शिव और नंदी की एक कथा सुनाते हैं

नई दिल्ली। आजकल काशी और नंदी काफी चर्चा का विषय बने हुए हैं। कहा जा रहा है कि काशी के मंदिर में स्थापित नंदी की प्रतिमा का मुख मस्जिद की ओर है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों कहा जा रहा है और हर मंदिर के बाहर नंदी की प्रतिमा क्यों स्थापित होती है? भगवान भोलेनाथ का वाहन माने जाने वाले नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है। शिव और नंदी का काफी गहरा रिश्ता है। जहां शिव हैं वहां नंदी जरूर होते हैं। इसके अलावा, नंदी को पुरुषार्थ यानी मेहनत का प्रतीक माना जाता है। नंदी को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आते हैं, जैसे नंदी का मुख हमेशा शिव की ओर ही क्यों होता है? लोग नंदी के कानों में अपनी मन्‍नत मांगते हैं? नंदी शिव को इतने प्रिय क्यों हैं? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो हम आपको शिव और नंदी की एक कथा सुनाते हैं जिसे जानने के बाद आपको आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे…

शिव-नंदी की पौराणिक कथा

आपने समुद्र मंथन की कथा के बारे में तो सुना ही होगा। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और उससे निकली चीजों का बंटवारा हुआ था। उसी मंथन से विष भी निकला था जिसे कोई भी नहीं लेना चाहता था। ये विष धीरे-धीरे वातावरण में फैलकर सारी प्रकृति को नष्ट करने लगा। तब भगवान शिव ने इस हलाहल विष का पान करके इस संसार की रक्षा की। इसी दौरान इस विष की कुछ बूंदें छलककर जमीन पर गिर पड़ीं, जिन्हें नंदी ने अपनी जीभ से चाट लिया। भगवान शंकर ने नंदी का अपने प्रति लगाव और प्रेम देखकर उन्‍हें अपने सबसे बड़े भक्‍त की उपाधि दी और ये वरदान दिया कि लोग उनकी पूजा करने के साथ ही नंदी के दर्शन कर उन्हें भी जरूर प्रणाम करेंगे।

आत्‍मा और शरीर के बंधन का प्रतीक है नंदी और शिव का रिश्ता

जिस प्रकार नंदी लगातार शिव की ओर देखते रहते हैं, उसी तरह हमारी नजर भी हमेशा आत्मा की ओर होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने दोषों को देखना चाहिए और दूसरों के लिए मन में हमेशा अच्छी भावना रखनी चाहिए। नंदी इस बात का संकेत देते हैं कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है। इससे शरीर तो स्वस्थ होता ही है मन भी शांत, स्थिर और दृढ़ संकल्प से भरा होता है। परिणामस्वरूप संतुलित शरीर और मन हर कार्य और लक्ष्य में सफलता पाने में सहयोगी होता है।

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