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बेमेल गठबंधन लोकतंत्र के लिए खतरा

arvind kejriwal and rahul gandhi

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। भाजपा का विजयी रथ रोकने के लिए इंडी गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली, हरियाणा, गुजरात में हाथ मिलाया है। इस गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी दिल्ली में चार तो कांग्रेस तीन प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारेगी। वहीं अगर पंजाब की बात करें तो वहां आप और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में अपना प्रत्याशी उतारेंगी। अब इस बेमेल गठजोड़ को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं वहीं वोटर भी असमंजस में हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ आए हों। इससे पहले भी 2012 में अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बना चुके हैं।

2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अस्तित्व में आई अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली थीं, तब केजरीवाल ने अपनी धुर विरोधी कांग्रेस के समर्थन से ही सरकार बनाई थी और पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। वो बात अलग है कि महज 49 दिनों में ही कांग्रेस ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। लेकिन ताजा मामला इससे थोड़ा अलग है क्योंकि इसमें देखने लायक बात ये है कि एक तरफ दिल्ली, गुजरात में आप और कांग्रेस मिलकर भाजपा को घेरेंगी तो वहीं दूसरी ओर पंजाब में आप और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर ही हमलावर होंगे। इसका ताजा नजारा पंजाब विधानसभा में देखने को भी मिला जब विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान और कांग्रेस विधायक व विपक्षी नेता प्रताप सिंह बाजवा के बीच तीखी बहस हुई। बात इतनी बढ़ गई कि विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही कुछ देर के लिए रोकनी पड़ी। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर वो बोलेंगे तो विपक्ष वॉकआउट कर जाएगा। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि सदन को अंदर से ताला लगा दिया जाए, ताकि वो बोलें तो विपक्ष के नेता बाहर न जा पाएं। कांग्रेस विधायक और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, सीएम भगवंत मान पंजाब की संस्कृति भूल गए हैं। हम भगवंत मान का इस्तीफा मांगते हैं। जब सीएम भगवंत मान और कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा के बीच तीखी नोकझोंक चल रही थी, उस समय कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विधायकों के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई थी। कांग्रेस विधायक लगातार मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे।
सत्ता की चाहत में आम वोटरों के साथ खिलवाड़ करते हुए इस प्रकार के बेमेल गठबंधनों के खिलाफ जनता को समय रहते जागना होगा और ऐसे नेताओं को वोट की चोट से मात देनी होगी जो सिर्फ स्वहित के लिए लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार करने से नहीं कतराते हैं।

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