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GST On Petroleum Products: क्या पेट्रोलियम उत्पादों को वैट की जगह जीएसटी दायरे में लाने पर राजी होंगे राज्य?, जानिए आखिर किस वजह से फंसा है पेच

नई दिल्ली। क्या राज्य पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस पर जीएसटी लगाने और वैट हटाने की बात मान जाएंगे? ये सवाल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बाद उठ रहा है। निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद बयान दिया कि केंद्र सरकार तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है, लेकिन सारा दारोमदार राज्यों पर है।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि जब जीएसटी लागू हुआ था, तब वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने पेट्रोलियम उत्पादों को इसमें शामिल करने की राह खोल रखी थी। ये राह अब भी खुली है, लेकिन राज्यों को तय करना है कि वे पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और विमान ईंधन पर कितना जीएसटी चाहते हैं। निर्मला सीतारमण के इस बयान से साफ है कि आने वाले वक्त में राज्य सरकारें शायद पेट्रोल समेत अन्य उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में फैसला करें। हालांकि, ये मामला जल्दी सुलटने की उम्मीद नहीं है।

दरअसल, राज्य सरकारों ने अब तक पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, रसोई गैस और विमान ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने पर हामी नहीं भरी है। इन सभी पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकारें वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स लगाती हैं। वैट हर राज्य में अलग है और इसकी वजह से हर राज्य में पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन, सीएनजी और रसोई गैस की कीमत भी अलग-अलग ही है। इन सभी पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र सरकार भी एक्साइज ड्यूटी लेती है। इस वजह से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में ज्यादा कमी नहीं हो पाती और इससे महंगाई भी बढ़ती है। जबकि, राज्यों को वैट लगाने से काफी राजस्व मिलता है। अगर पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो इससे केंद्र और राज्यों को बराबर का टैक्स मिलेगा। जबकि, एक्साइज ड्यूटी लगाकर केंद्र सरकार अलग से भी आमदनी कर सकेगी। इस वजह से भी राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी लगाने की दिशा में कदम नहीं बढ़ाए हैं।

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