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इस चेतावनी को कैसे करेंगे नजरअंदाज, जिसमें कहा कोरोना कुछ भी नहीं, ये दो बड़े संकट आने वाले हैं!

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नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच अब अमेरिकी भाषाविद और राजनीतिक विश्लेषक नॉम चोम्स्की (Noam Chomsky) ने मानव जीवन के लिए एक और खतरे की बात कही है। बता दें कि अमेरिकी भाषाविद नॉम चोम्स्की (Noam Chomsky) का दावा है कि कोरोना महामारी जरूर है और इसने दुनिया में कोहराम मचाया है लेकिन ये उन दो संकटों से काफी छोटा है, जो आने वाले दिनों में आएंगे।

चोम्स्की ने डीआईईएम-25 टीवी से बातचीत में कहा कि कोरोनो वायरस काफी गंभीर है लेकिन परमाणु युद्ध (Nuclear war) और ग्लोबल वार्मिंग (Climate change) वो दो संकट हैं जो मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन सकते हैं। ये दोनों कोरोना से भी खतरनाक संकट साबित होंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह के राजनीतिक और आर्थिक हालत हैं ये दोनों संकट अब दूर नज़र नहीं आ रहे हैं।

91 साल के नॉम चोम्स्की ने कहा कि यह सबसे चौंकाने वाली बात है कि कोरोना वायरस ट्रंप की सरकार के दौरान आया है और इसलिए अब ये और भी बड़ा खतरा नज़र आ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस भयानक है और इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं, लेकिन हम इससे उबर जाएंगे। लेकिन कोरोना के बाद जो दो अन्य खतरे सामने आने वाले हैं उनसे उबर पाना नामुमकिन होगा। इनसे सब कुछ तहस-नहस हो जाएगा। अमेरिका के पास बढ़ती जा रही असीम ताकत आने वाले विनाश की वजह बनेगी।

चोम्स्की डाउन टू अर्थ पत्रिका में छपे इस इंटरव्यू में कहते हैं कि सबसे बड़ी विडंबना देखिए कि क्यूबा, यूरोप की मदद कर रहा है। लेकिन उधर जर्मनी ग्रीस की मदद करने के लिए तैयार नहीं है। कोरोना काल में भी इस तरह की सोच सामने आ रही है जोकि परेशान करने वाली है। कोरोना वायरस संकट लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर सकता है कि हम किस तरह की दुनिया चाहते हैं। आखिर संकट में भी इस तरह के हालात हैं?

उन्होंने कहा कि, यह लंबे समय से पता था कि सार्स महामारी कुछ बदलाव के साथ कोरोना वायरस के रूप में सामने आ सकती है। अमीर देश संभावित कोरोना वायरस के लिए टीका बनाने का काम कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने सुस्ती दिखाई या अतिआत्मविश्नास में दिखे। बड़ी दवा कंपनियों ने इस पर काम करने नहीं दिया और अब जब ये आ गया है तो मनमाने ढंग से इसकी दवा और वैक्सीन का कारोबार किया जाएगा। जब कोरोना का खतरा सिर पर था तो बड़ी दवा कंपनियों को नई बॉडी क्रीम बनाना अधिक लाभदायक लग रहा था।

उन्होंने कहा कि, अमेरिका ने तो 2019 में ही कोरोना जैसे संकट को लेकर चेताया था लेकिन किसी ने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा। पोलियो का खतरा सरकारी संस्थान द्वारा बनाए गए टीके से खत्म हो गया लेकिन इसका कोई पेटेंट नहीं था और मुनाफे के चक्कर में बड़ी दवा कंपनियों ने ये होने भी नहीं दिया। चोम्स्की ने कहा कि 31 दिसंबर को ही चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को निमोनिया के बारे में सूचित किया और एक हफ्ते बाद चीनी वैज्ञानिकों ने इसे कोरोना वायरस के रूप में पहचाना। फिर इसकी जानकारी दुनिया को दी गई। इस इलाके के देशों जैसे, चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान ने कुछ-कुछ काम करना शुरू कर दिया और ऐसा लगता है कि संकट को बहुत अधिक बढ़ने से रोक लिया।

कोरोना के परिणामों को लेकर उन्होंने कहा कि, आज 2 बिलियन से अधिक लोग क्वारंटाइन हैं। सामाजिक अलगाव का एक रूप वर्षों से मौजूद है और बहुत ही हानिकारक है।  आज हम वास्तविक सामाजिक अलगाव की स्थिति में हैं। किसी भी तरह, फिर से सामाजिक बंधनों के निर्माण के जरिए इससे बाहर निकलना होगा, जो जरूरतमंदों की मदद कर सके. इसके लिए उनसे संपर्क करना, संगठन का विकास, विस्तारित विश्लेषण जैसे कार्य करने होंगे।

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