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Delhi Liquor Scam: ‘दिल्ली के शराब घोटाले से ‘आप’ ने कमाए 100 करोड़!’ ईडी के आरोपपत्र में साजिश का खुलासा सुन आप दंग रह जाएंगे

enforcement directorate ed and arvind kejriwal

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के लिए दिल्ली का शराब घोटाला गले का फंदा बन सकता है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) पर संगीन आरोप लगाया है। ईडी ने दिल्ली की अदालत में दाखिल आरोपपत्र में कहा है कि दक्षिण भारत के कई लोगों ने आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सरकार को शराब कारोबार में अनुचित लाभ के लिए 100 करोड़ रुपए की घूस दी। अपने आरोपपत्र में ईडी ने कहा है कि शराब कारोबारी समीह महेंद्रू और आम आदमी पार्टी के संचार विभाग के प्रभारी विजय नायर ने इस मामले में साजिश रची। महेंद्रू और नायर के साथ ईडी ने तेलंगाना की एमएलसी और सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता, आंध्र प्रदेश के ओंगोल से सांसद एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुनता और शरत रेड्डी का भी नाम इस आरोपपत्र में लिया है। बता दें कि कथित शराब घोटाले में सीबीआई की एफआईआर में मनीष सिसोदिया नंबर 1 आरोपी हैं।

ईडी ने आरोपपत्र में कहा है कि समीर महेंद्रू ने मिलीभगत कर शराब के खुदरा और थोक निर्माता और विक्रेता का गुट बनाया। इस गुट में विजय नायर, बिनॉय बाबू, एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी, राघव, शरत रेड्डी, अभिषेक बोइनपल्ली, बुच्ची बाबू और शराब बनाने वाली कंपनी पेरनॉड रिकॉर्ड भी शामिल थे। दक्षिण भारत के इस गुट से मिलकर महेंद्रू और विजय नायर ने रिश्वत की वसूली के लिए साजिश को अंजाम तक पहुंचाया। ईडी के मुताबिक रिश्वत की 100 करोड़ की रकम समीर महेंद्रू के इंडो स्पिरिट्स के थोक और समीर के इलाकों में खुदरा शराब की बिक्री से हुए मुनाफे से निकाली गई। इस डील में दक्षिण के समूह ने विजय नायर को 100 करोड़ की रिश्वत दी।

ईडी ने आरोपपत्र में कहा है कि दक्षिण भारत के इस समूह से मिली रिश्वत के बदले साझेदारों को इंडो स्पिरिट्स में 65 फीसदी हिस्सेदारी मिली। इंडो स्पिरिट्स के शेयर्स को झूठे प्रतिनिधित्व और अरुण पिल्लै और प्रेम राहुल के जरिए नियंत्रित किए जाने के सबूत भी ईडी को मिले हैं। ईडी केम मुताबिक दिल्ली में कथित शराब घोटाले से सरकारी खजाने को 2873 करोड़ की चपत लगी। नई शराब नीति को आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तैयार किया। इनका मकसद अवैध रूप से धन कमाना था। नई शराब नीति को इस तरह तैयार किया गया कि इसमें कमियां रहें और अवैध गतिविधि की जा सके।

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