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Pilot Vs Gehlot: छत्तीसगढ़ में सिंहदेव की नाराजगी दूर करने के बाद अब सचिन पायलट को साधने की तैयारी! 3 जुलाई को फैसला कर सकती है कांग्रेस

sachin pilot

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के साथ ही इस साल राजस्थान के भी चुनाव हैं। दोनों जगह कांग्रेस की सरकार है। छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को चुनाव से कुछ महीने पहले डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस आलाकमान ने उनकी नाराजगी दूर कर दी। सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में नेताओं को साधने के बाद अब कांग्रेस आलाकमान की नजर राजस्थान की तरफ फोकस हुई है। 3 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए राजस्थान के नेताओं की दिल्ली में बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इसी बैठक में सीएम अशोक गहलोत के घोर विरोधी सचिन पायलट को भी साधा जा सकता है।

सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच कैसा टकराव है, ये इसी से समझा जा सकता है कि गहलोत ने जहां पायलट के लिए गद्दार और बड़ा वाला कोरोना जैसी बातें कहीं। वहीं, सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के कदमों के खिलाफ एक दिन का अनशन और अजमेर से जयपुर तक 5 दिन की पदयात्रा की। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 2020 से तनातनी शुरू हुई थी। तब 18 अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ सचिन पायलट हरियाणा के मानेसर आ गए थे। बड़ी मुश्किल से उस वक्त कांग्रेस आलाकमान ने उनको समझाया था। पिछले साल यानी 2022 की 25 सितंबर को जब कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को दूत के तौर पर जयपुर भेजा, तो गहलोत समर्थक विधायकों ने इस पर बागी तेवर दिखाए कि किसी सूरत में सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाया जाए।

सचिन पायलट ने बीते दिनों कई मांगों को लेकर अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला था। वसुंधरा राजे सरकार के दौरान भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर उन्होंने अनशन किया। फिर पेपर लीक मामले में 3 मांगें मानने की बात रखी। इस मसले पर अजमेर से जयपुर तक पदयात्रा भी की। सचिन ने कहा था कि 31 मई तक मांगें न मानी गईं, तो वो पूरे राजस्थान में आंदोलन करेंगे। इसके बाद मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली बुलाकर बात की थी। जिसके बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गहलोत और पायलट को साथ लेकर मीडिया के सामने कहा था कि राजस्थान का मसला सुलझा लिया गया है। अब देखना ये है कि 3 जुलाई को सचिन पायलट पर कांग्रेस आलाकमान वैसी ही कृपा बरसाता है, जैसी छत्तीसगढ़ में सिंहदेव पर बरसाई। खास बात ये है कि राजस्थान में 2018 में जब चुनाव हुए थे, तब सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। चुनाव जीतने के बाद उनको गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया था। बागी तेवर अपनाने के बाद ये दोनों ही पद सचिन से छीन लिए गए थे।

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