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Rajasthan: नई मुश्किल में घिरे सीएम अशोक गहलोत, करीबी विधायक-मंत्रियों ने ही कर दी सत्ता छोड़ने की मांग

cm ashok gehlot

जयपुर। राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत के सामने दिक्कतें एक के बाद एक आ रही हैं। ताजा दिक्कत गहलोत के करीबियों ने पैदा की है। इन करीबी विधायकों और मंत्रियों ने साफ तौर पर ये मांग रख दी है कि अशोक गहलोत पद छोड़ें और सचिन पायलट को सत्ता की कमान दी जाए। गहलोत के करीबियों के इस तरह पाला बदलने से कांग्रेस आलाकमान को भी चुनाव से पहले हालात संभालने में नाको चने चबाने पड़ सकते हैं। साथ ही गहलोत को हटाने की मांग अगर न मानी गई, तो चुनाव में इसका उल्टा असर भी कांग्रेस पर पड़ सकता है।

हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ के मुताबिक जबसे अशोक गहलोत के बारे में ये खबर उड़ी कि उनको कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है, तभी से उनके करीबियों ने सचिन खेमे का रुख करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, गहलोत के ये करीबी अब उनके खिलाफ मुखर भी हो रहे हैं और खुलकर अपनी नाराजगी जताने लगे हैं। अशोक गहलोत के करीबियों में विधायक रघु शर्मा को गिना जाता रहा है। दैनिक जागरण की खबर के अनुसार रघु पिछले एक महीने में दो बार सचिन पायलट से मिल चुके हैं। उनके अलावा प्रशांत बैरवा, रोहित बोहरा और दानिश अबरार जैसे गहलोत खेमे के मंत्री भी पायलट से मिले हैं। विधायक किस तरह मुखर हैं, ये इससे पता चलता है कि राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा है कि गहलोत को अब युवा पीढ़ी को कमान देनी चाहिए। उन्होंने पायलट का नाम लेते हुए कहा कि गहलोत का सीएम पद छोड़ना ही पार्टी के हित में होगा। बैरवा ने ये भी कहा कि अशोक गहलोत सर्वमान्य नेता हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कोई व्यक्ति 100 साल की उम्र तक पद पर बना रहे।

वहीं, कांग्रेस के विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा है कि वे सचिन के साथ हैं और गुर्जर समाज को अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए। गहलोत के एक और करीबी अशोक चांदना भी पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में सीएम के कहने के बाद भी मंच पर उनके करीब आकर नहीं बैठे। वहीं, सचिन पायलट ने भी बुधवार यानी कल मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने कांग्रेस आलाकमान के कहने पर डिप्टी सीएम पद छोड़ा था। अगर किसी को आलाकमान कोई निर्देश देता है, तो उसे मानना ही होगा।

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