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Bihar Election : यहां जानिए, 2015 में कब से कब तक कितने चरणों में हुई थी वोटिंग, क्या रहे थे नतीजे

नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) महासंकट के बीच चुनाव आयोग ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के लिए मतदान की तारीखों का घोषणा कर दी गई है। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को किया जाएगा तो दूसरे चरण के लिए तीन और तीसरे चरण के लिए  7 नवंबर को मतदान किए जाएंगे। वहीं 10 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ जाएंगे। बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होगा। चलिए एक नजर इस बार के चुनाव से पहले पिछले चुनाव यानी बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में नजर डालते है-

साल 2015 में जो विधानसभा चुनाव हुए थे उसमें एनडीए गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (BJP), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) शामिल थे। वहीं महागठबंधन में जनता दल यूनाइडेट (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (Congress) शामिल थी।

साल 2015 के विधानसभा चुनाव पांच चरणों में चुनाव हुए थे-

पहला चरण – 12 Oct
दूसरा चरण- 16 Oct
तीसरा चरण- 28 Oct
चौथा चरण – 1 Nov
पांचवां चरण- 5 Nov

नतीजे- 8 Nov

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। 243 में से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। 2015 में राज्य में 6.68 करोड़ वोटर थे। इनमें 56 फीसदी लोगों ने ही चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के नतीजे

एनडीए : भाजपा – 53, लोजपा – 2, रालोसपा – 2, हम (सेक्यूलर) – 1
महागठबंधन : जदयू 71, राजद – 80, कांग्रेस – 27

2015 के चुनाव में वैसे जीत महागठबंधन की हुई थी। महागठबंधन को 43 फीसदी वोट मिले। इसमें आरजेडी को 18.4 फीसदी, जेडीयू को 16.8 और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले। दूसरी ओर एनडीए को 33 फीसदी वोट मिले थे। इसमें भाजपा को 24.4, लोजपा को 4.8 फीसदी, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा को 2.4 और मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 2.2 फीसदी वोट मिले।

हालांकि साल 2015 की तुलना में 2020 का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से अलग होगा। 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर भाजपा, आरएलएसपी और एलजेपी के गठबंधन पर जीत हासिल की थी। लेकिन दो साल बाद ही नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बना ली।

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