लखनऊ। बीएसपी सुप्रीमो और यूपी की 4 बार सीएम रहीं मायावती ने एक बार फिर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को निशाने पर लिया है। मायावती ने दलितों को आगे कर तनाव और हिंसा फैलाने का आरोप समाजवादी पार्टी पर लगाया है। मायावती ने ये भी कहा है कि दलितों के साथ ही पिछड़ों और मुसलमानों को समाजवादी पार्टी के हथकंडों का शिकार होने से बचने की जरूरत है। समाजवादी पार्टी के दलित नेताओं को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अवसरवादी भी करार दिया है।
मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि अन्य दलों की तरह समाजवादी पार्टी भी आए दिन अपनी पार्टी के दलतों को आगे कर तनाव और हिंसा का माहौल पैदा करती है। इसके लिए समाजवादी पार्टी विवादित बयान, आरोप-प्रत्यारोप और कार्यक्रम कराती है। मायावती ने कहा है कि ये समाजवादी पार्टी की संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति लगती है। मायावती ने ये भी कहा है कि दलितों के वोटों को हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है। मायावती ने कहा है कि इस वजह से दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम समाज को समाजवादी पार्टी के राजनीतिक हथकंडों से बचने की जरूरत है। मायावती ने कहा है कि समाजवादी और ऐसी पार्टियों से जुड़े अवसरवादी दलितों को चाहिए कि वे इतिहास पर टीका-टिप्पणी करने की जगह समाज के संतों, गुरुओं और महापुरुषों की अच्छाइयों के बारे में लोगों को बताएं।
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ये बयान समाजवादी पार्टी के नेताओं की तरफ से हो रही बयानबाजी पर जारी किया है। पिछले दिनों राज्यसभा में सपा के सांसद रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को गद्दार बताया था। रामजीलाल सुमन ने कहा था कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था। वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक इंद्रजीत सरोज ने भी विवादित बयान दिया था। इंद्रजीत सरोज ने कहा था कि मंदिरों और देवी-देवताओं में अगर ताकत होती, तो वे मुस्लिम आक्रांताओं को जलाकर भस्म कर देते। बता दें कि पहले भी समाजवादी पार्टी के नेता हिंदू धर्म के बारे में विवादित बयान देते रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी में जाने के बाद रामचरितमानस के बारे में विवादित बयान दिया था। जिसके बाद कुछ लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां भी जलाई थीं।