नई दिल्ली। लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। इससे पहले बीजेपी नेता नारायण राणे ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। जिसके बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उद्धव सरकार पर भड़क गए हैं।
मामला क्या है-
बता दें कि बीएमसी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को मुंबई में कोरोना शवों के दफनाने की जिम्मेदारी दी है। बीएमसी ने इस संबंध में एक आधिकारिक पत्र भी 18 मई को जारी किया था। इसी को लेकर महाराष्ट्र सरकार को घेरते हुए देवेंद्र फडणवीस ने एक ट्वीट कर सवाल किया है।
Shocked to know that @mybmc giving legitimacy to organisation like Popular Front of India (PFI), allegedly known for anti-national & anti-social activities.
Hon CM @OfficeofUT ji do you agree to this?
If not, will you take strong action?
Sharing few links, See what is PFI? pic.twitter.com/KLcZoupBPh
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) June 2, 2020
देवेंद्र फडणवीस ने कहा-
उन्होंने कहा कि यह जानकर धक्का लगा कि बीएमसी पीएएफआई जैसे संगठन को वैधता दे रहा है, जो कथित रूप से देश और समाज विरोधी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को टैग करते हुए सवाल किया कि क्या आप इससे सहमत हैं? अगर सहमत नहीं हैं तो क्या आप कड़ी कार्रवाई करेंगे?
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह पत्र ट्वीट करते हुए आरोप लगाया है कि शिवसेना ने बीएमसी को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त संगठनों को वैध बनाने वाला संगठन बना दिया है। इस वीडियो में देखिए फडणवीस ने क्या कहा..
वीडियो-
.@Dev_Fadnavis Accuses BMC Of Legitimising PFI, Urges Uddhav Thackeray To Take Action
| @mybmc | @OfficeofUTRead-https://t.co/EaXxJ1gAEk pic.twitter.com/JTMQUM3lvm
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) June 3, 2020
गौरतलब है कि फडणवीस ने बीएमसी का जो पत्र ट्वीट किया है, वह 18 मई का है। इस पत्र में बीएमसी ने सभी अस्पताल अधीक्षकों को यह निर्देश दिए थे कि कोरोना वायरस या इसके किसी संदिग्ध मुस्लिम मरीज की मौत की स्थिति में पीएफआई को सूचना दें।
हिंसा के मामलों में भी पीएफआई का नाम-
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामलों में भी पीएफआई का नाम आया था। कई और मामलों में भी पीएफआई का नाम सामने आने के बाद इसकी भूमिका की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा (एनआईए) कर रही है।