News Room Post

अयोध्‍या में भव्य राम मंदिर निर्माण के बीच आई ये मुश्किल, VHP उपाध्यक्ष चंपत राय ने दी अहम जानकारी

नई दिल्ली। अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण को लेकर पीएम मोदी द्वारा शिलान्‍यास हो चुका है। इसको करीब 5 महीने हो चुके हैं। अब निर्माण को लेकर इसके प्रारुप को बड़ा कर दिया गया है। इस मंदिर की भव्यता को अधिक लंबी आयु देने के लिए भारत के वैज्ञानिक, प्रोफेसर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, आईआईटी गोहाटी, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी मुंबई,  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सूरत, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की, सीपीआरआई रुड़की, टाटा और लार्सन टुब्रो के इंजीनियर्स सामूहिक विचार विमर्श में लगे हुए हैं। ऐसे में  श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण को लेकर अहम जानकारी दी है। बता दें कि चंपत राय का कहना है कि वर्तमान मेंं जहां मंदिर का निर्माण हो रहा है वहां, धरातल से नीचे 50 फीट तक मलबा भरा है। ये 50 फीट का मलबा आखिर कहां से आ गया? इसके साथ ये भी प्रमाण मिले हैं कि यहां कभी न कभी सरयू का जलप्रवाह था। सरयू का जलप्रवाह होने से अब यहां तकनीकी समस्याएं सामने आ रही हैं।

गौरतलब है कि इस दौरान राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण में अभी त‍क उसकी नींव रखने का काम भी नहीं हो सका है। इसके पीछे जो वजह सामने मानी जा रही है वो निर्माण स्थल की मिट्टी को लेकर है। बता दें कि राम जन्‍मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्‍ट के महासचिव और विश्‍व हिंदू परिषद के उपाध्‍यक्ष चंपत राय (Champat Rai) ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया है कि राम मंदिर निर्माण में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि, निर्माणस्‍थल की जमीन भुरभुरी है।

चंपत राय ने कहा कि, जिस दिन मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा, उस दिन से 36 से 39 महीने के अंदर राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। हालांकि जमीन के भुरभुरी होने के चलते इसमें मुश्किलें सामने आ रही हैं। ऐसे में निर्माण कार्य शुरु नहीं हो पाया है। उन्होंने मंदिर को लेकर जानकारी दी कि, यह पूरी तरह से पत्थरों से निर्मित मंदिर होगा।

चंपत राय ने कहा कि, नींव के ऊपर से लेकर पूरे मंदिर में करीब चार लाख घन मीटर पत्थर का इस्तेमाल होगा। उन्‍होंने उम्मीद जताई कि, संभव है कि, जून में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। लेकिन जमीन को लेकर अध्‍ययन अभी पूरा नहीं हो पाया है। निर्माणस्‍थल पर जमीन काफी भुरभुरी है। इसलिए परेशानी हो रही है।

एएनआई से बात करते हुए चंपत राय ने कहा कि, मंदिर की नींव बनाने के लिए लोहे का नहीं बल्कि कंक्रीट और पत्‍थरों का इस्‍तेमाल होगा। इन पत्‍थरों को आपस में बांधने के लिए तांबे का इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर के निर्माण में चांदी के इस्‍तेमाल की कोई जरूरत नहीं है। वहीं नींव में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट को लेकर चंपत राय ने कहा कि सीमेंट की आयु बहुत थोड़ी है, लगभग 150 वर्ष। इसके बाद सीमेंट की आयु खत्म हो जाती है। इसलिए सीमेंट की आयु बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इस पर विचार किया जा रहा है कि कैसे इसे 300 से 400 वर्ष तक बढ़ाया जाए।

Exit mobile version