नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने बुधवार को दिल्ली के एक कोर्ट में बड़े फर्जीवाड़े का दावा किया। ईडी ने कोर्ट में दावा किया कि कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजीएल) को फर्जी लेन-देन किया। ये लेन-देन सिर्फ कागजों पर ही मौजूद है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि कई साल तक कुछ लोगों ने एजेएल को फर्जी किराया दिया। ईडी के मुताबिक किराए की रसीद फर्जी हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर फंड को एजेएल को ट्रांसफर किया गया। इसके अलावा ईडी ने ये दावा भी किया कि विज्ञापन के फंड भी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर एजेएल को दिए गए। ईडी के मुताबिक इस तरह रकम का जुगाड़ करना अपराध की श्रेणी में आता है।
ईडी ने कथित फर्जी पेमेंट के मामले में कुछ दानदाताओं, नामचीन लोगों और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों पर ये सवाल भी उठाया कि क्यों न इस तरह रकम के लेन-देन के कारण उनको भी आरोपी बनाया जाए। ईडी ने शेयर ट्रांजेक्शन पर भी अंगुली उठाई है। ईडी ने दावा किया कि सुमन दुबे ने सोनिया गांधी को शेयर ट्रांसफर किए। वहीं, ऑस्कर फर्नांडिस ने राहुल गांधी को शेयर ट्रांसफर किए। बाद में ये शेयर ऑस्कर फर्नांडिस को वापस किए गए। ईडी ने कोर्ट में कहा कि ये सभी फर्जी लेन-देन थे और सिर्फ कागज पर ही मौजूद थे। ईडी के मुताबिक साल 2015 तक सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही हकीकत में फायदा लेते रहे और उनके कंट्रोल में ही पूरी कंपनी थी।
कोर्ट ने ये पूछा कि क्या किराया और विज्ञापन का पैसा भी अपराध के तहत आता है? इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर फर्जी तरीके से लिया गया, तो कानून के तहत अपराध है। कोर्ट ने इस पर कहा कि ऐसे सभी मामलों को ईडी ने अपराध के तहत नहीं रखा है। जैसे किराए को 29 और 142 करोड़ में रखा गया। 142 करोड़ को अपराध से प्राप्त आय माना गया और 29 करोड़ को नहीं। कोर्ट ने कहा कि ये सवाल इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि ईडी कह रही है कि कुछ दानदाताओं ने फर्जी तरीका अपनाया। ये उसी राजनीतिक दल (कांग्रेस) के और नामचीन लोग हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर दान और एडवांस किराया अपराध से प्राप्त आय है, तो क्या इन लोगों को जवाबदेह नहीं माना जाना चाहिए? इस पर ईडी की ओर से कहा गया कि अभी जांच कर रहे हैं क्या परिसंपत्तियां अधिग्रहण के समय से या बाद के चरण में अपराध से प्राप्त आय के तौर पर दर्ज हों।
साल 2008 तक नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज छापने वाली कंपनी एजेएल पर 90 करोड़ का कर्ज हो गया था। साल 2012 में सुब्रहमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में शिकायत दी। स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने एजेएल के अधिग्रहण में धोखाधड़ी की है। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण अधिग्रहण बताया। इसके बाद ईडी ने जांच शुरू की। राहुल गांधी, सोनिया गांधी वगैरा की कंपनी यंग इंडियन पर आरोप है कि उसने एजेएल को 50 लाख रुपए देकर सारे शेयर हासिल कर लिए और सारी संपत्ति पर यंग इंडियन का कब्जा हो गया। इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी जमानत पर हैं।