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Maharashtra: तुझा एकनाथ अणे माझा एकनाथ, जानिए ‘एकनाथ’ की महाराष्ट्र की मौजूदा सियासत में क्यों है चर्चा

Eknath khadse Eknath shinde

मुंबई। तुझा एकनाथ अणे माझा एकनाथ। मराठी भाषा के इस वाक्य का मतलब है तुम्हारा एकनाथ और हमारा एकनाथ। एकनाथ एक नाम है और महाराष्ट्र के दो दिग्गज नेता इसी नाम के हैं। एक हैं एकनाथ खडसे। दूसरे हैं एकनाथ शिंदे। एकनाथ खडसे बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वहीं, एकनाथ शिंदे शिवसेना के बड़े नेता हैं। आज इन दोनों ही नेताओं की चर्चा फिर एक बार होने लगी है। इसकी वजह है उद्धव ठाकरे सरकार पर लटकी तलवार। एक दौर था, जब एकनाथ खडसे बीजेपी छोड़कर उद्धव सरकार की सहयोगी एनसीपी के खेमे में चले गए थे। अब माहौल ऐसा बना है कि शिवसेना के एकनाथ शिंदे बीजेपी के पाले में आते दिख रहे हैं।


बात करें एकनाथ खडसे की, तो वो महाराष्ट्र के ओबीसी समुदाय के बड़े नेता हैं। जमीन पर कब्जा करने के आरोपों की वजह से तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उनको साल 2016 में मंत्री पद से हटा दिया था। इससे खडसे नाराज थे। वो पहले उद्धव ठाकरे से मिले।

फिर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मिले और इसके बाद 23 अक्टूबर 2020 को वो एनसीपी में शामिल हो गए। एनसीपी में खडसे के शामिल होने से बीजेपी को झटका तो लगा, लेकिन उसने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जबकि, महाविकास अघाड़ी में एकनाथ खडसे के आने के बाद वो खुश थी।


अब बात एकनाथ शिंदे की कर लेते हैं। ऑटो चालक से राजनीति में आने वाले एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे का करीबी और विश्वस्त माना जाता रहा है। यहां तक कि जब उद्धव ने सीएम पद की शपथ ली थी, तो उनके तुरंत बाद एकनाथ शिंदे को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। पिछले काफी दिनों से खबरें आ रही थीं कि उद्धव और एकनाथ शिंदे के बीच पटरी नहीं बैठ रही। अब महाराष्ट्र में जिस तरह सियासी हालात बने हैं, उसकी वजह एकनाथ शिंदे ही बन गए हैं। बताया जा रहा है कि वो बीजेपी से संपर्क में हैं। यानी अगर एकनाथ शिंदे ने अपना पाला फिर न बदला, तो बीजेपी अपने एकनाथ खडसे को गंवाने का बदला एकनाथ शिंदे के जरिए ले सकती है।

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