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EC Orders Removal Of Acting DGP Of Jharkhand : चुनाव आयोग ने झारखंड के कार्यवाहक डीजीपी को तत्काल प्रभाव से हटाने का दिया आदेश

EC Orders Removal Of Acting DGP Of Jharkhand : देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को इस आदेश का अनुपालन कर शाम सात बजे तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। माना जा रहा है कि कार्यवाहक डीजीपी अनुराग गुप्ता के खिलाफ पिछले चुनावों के दौरान चुनाव आयोग द्वारा की गई शिकायतों और कार्रवाइयों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।

नई दिल्ली। झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के चार दिन बाद चुनाव आयोग ने प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी अनुराग गुप्ता को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है। चुनाव आयोग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि कार्यवाहक डीजीपी को कैडर के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को डीजीपी का प्रभार सौंपना चाहिए। देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को इस आदेश का अनुपालन कर शाम सात बजे तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार कार्यवाहक डीजीपी अनुराग गुप्ता के खिलाफ पिछले चुनावों के दौरान चुनाव आयोग द्वारा की गई शिकायतों और कार्रवाइयों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। 2019 में लोकसभा के आम चुनावों के दौरान, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) द्वारा पक्षपातपूर्ण आचरण के आरोपों के बाद, अनुराग गुप्ता को एडीजी (विशेष शाखा), झारखंड के रूप में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था। उस समय, उन्हें दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर कार्यालय में फिर से नियुक्त किया गया और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक झारखंड लौटने पर रोक लगा दी गई थी। फिलहाल झारखंड में जेएमएम की ही सरकार है।

इसके अलावा, 2016 में झारखंड से राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों के दौरान, तत्कालीन अतिरिक्त डीजीपी के पद पर तैनात अनुराग गुप्ता पर अपने अधिकार के दुरुपयोग संबंधी गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों की जांच के लिए निर्वाचन आयोग ने एक जांच समिति का गठन किया था, जिसके निष्कर्षों के आधार पर अनुराग गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच के लिए आरोप पत्र भी जारी किया गया था। इस मामले में जगन्नाथपुर थाना में आईपीसी की धारा 171(बी)(ई)/ 171(सी)(एफ) के तहत  मार्च 2018 में केस भी दर्ज किया गया था। इसके बाद 2021 में, झारखंड सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 (ए) के तहत इस मामले में जांच की अनुमति दी थी।

 

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