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Breaking News: राज्यसभा में नियम 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा की विपक्ष की मांग से सहमत हुई सरकार

opposition protest on manipur

नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा की आग में बुरी तरह झुलसा हुआ है। राज्य के भीतर हर तरफ लगातार जातीय संघर्ष फैला हुआ है। 83 दिन से भी अधिक समय हो चुका है लेकिन अभी भी हिंसा नहीं थमी है। बीते दिनों सोशल मीडिया पर मणिपुर की 2 महिलाओं का यौन शोषण किए जाने का जो वीडियो वायरल हुआ उसने आग में घी डालने का काम किया। इस हिंसा को लेकर बेशक मीडिया में पहले इतनी चर्चाएं नहीं थी। लेकिन अब ये मुद्दा गर्म है, इसको लेकर संसद से लेकर सड़कों तक बहस हो रही है। संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और विपक्ष धरना प्रदर्शन कर रहा है। विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहा था। जबकि केंद्र सरकार इसको लेकर नियम 267 के तहत चर्चा करना चाहता है। लेकिन अब खबर है कि सरकार भी नियम 267 के अंदर चर्चा की विपक्ष की मांग पर तैयार हो गया है।


संसद में मानसून सत्र के तीसरे दिन मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के विरोध में विपक्षी दलों ने संयुक्त मोर्चा बनाया। इस मुद्दे पर संसद में तीन दिनों तक लगातार हंगामा हुआ और राज्यसभा ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया। मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार संसद में अपना पक्ष रखने को तैयार है, लेकिन मामला संसदीय नियमों को लेकर तकनीकी बहस में उलझा हुआ था। विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहा था, जो बहस के बाद मतदान के प्रावधान की अनुमति देता है। दूसरी ओर, सरकार का झुकाव नियम 176 की ओर था, जो मतदान के प्रावधान के बिना केवल चर्चा की अनुमति देता है।

नियम 267 और नियम 176 राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बहस और चर्चा के लिए संसद में अपनाई जाने वाली विशिष्ट प्रक्रियाओं का उल्लेख करते हैं। नियम 267 के तहत, यदि अधिकांश सदस्य किसी विशिष्ट मामले पर चर्चा की मांग का समर्थन करते हैं, तो अध्यक्ष उस मुद्दे पर चर्चा करने की अनुमति दे सकता है और बहस के बाद मामले पर निर्णय लेने के लिए मतदान किया जाता है। इसके विपरीत, नियम 176 किसी विशेष विषय पर चर्चा की अनुमति देता है, लेकिन बहस समाप्त होने के बाद मतदान का कोई प्रावधान नहीं है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि विपक्ष संसद में चर्चा से बच रहा है क्योंकि वे अपने संबंधित राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बंगाल में महिलाओं से जुड़ी घटनाओं को संबोधित करने के लिए बाध्य होंगे। कांग्रेस पार्टी, विशेष रूप से, नियम 176 के तहत चर्चा का विरोध कर रही है, क्योंकि वे उल्लिखित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर जांच से बचना चाहते हैं।

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