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Gyanvapi Masjid: ‘ज्ञानवापी में बंद हो नमाज मिले पूजा की मंजूरी’, एएसआई रिपोर्ट का हवाला देकर हिंदू संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से की मांग

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नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में अब नमाज पर रोक और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने देने की मांग उठी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई की बीते दिनों आई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ये मांग हिंदू सिंह वाहिनी सेना ने की है। हिंदू सिंह वाहिनी सेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर मांग की गई है कि ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पर रोक लगाकर हिंदुओं को वहां पूजा करने की मंजूरी मिले। इस चिट्ठी में कहा गया है कि एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद की जगह पहले हिंदू मंदिर था। इस बारे में शिलालेख और तस्वीरें भी सामने आई हैं। हिंदू संगठन ने कहा है कि यहां हिंदू मंदिर होने पर शक नहीं है और तत्काल नमाज पर रोक लगाई जानी चाहिए।

ज्ञानवापी के मसले पर वैसे तो वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश सुनवाई कर रहे हैं, लेकिन मस्जिद के वजूखाने को सील करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद हिंदू वादियों के वकील विष्णु शंकर जैन ने फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में एएसआई सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए ज्ञानवापी के सील वजूखाने की भी वैज्ञानिक जांच कराने और मस्जिद परिसर में सभी 10 तहखानों को खोलकर वहां जांच करने की अर्जी दी है। इस अर्जी पर सुनवाई की तारीख अभी सुप्रीम कोर्ट ने तय नहीं की है। वहीं, एएसआई सर्वे रिपोर्ट पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलों को जिला जज 6 फरवरी को सुनने वाले हैं।

एएसआई की ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट 25 जनवरी को सामने आई थी। इस सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा ज्ञानवापी मस्जिद से पहले वहां भव्य और बड़ा हिंदू मंदिर था। ज्ञानवापी मस्जिद की पीछे यानी पश्चिम की दीवार के हिंदू मंदिर का हिस्सा होने की बात भी एएसआई ने सर्वे में कही है। इसके अलावा पूर्व दिशा के हॉल में मंदिर के पुराने खंबे इस्तेमाल होने की जानकारी भी एएसआई ने दी है। साथ ही मस्जिद परिसर से मिलीं तमाम मूर्तियों के फोटो भी अपनी रिपोर्ट में दिए हैं। मुस्लिम पक्ष का हालांकि दावा है कि ज्ञानवापी के पास पहले 5 मूर्तिकारों को जगह दी गई थी। मस्जिद कमेटी के वकील का कहना है कि उन्हीं लोगों ने मस्जिद परिसर में मूर्तियां फेंकी होंगी। हालांकि, पश्चिम की मंदिर वाली दीवार पर मुस्लिम पक्ष ने कोई बयान नहीं दिया है।

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