नई दिल्ली। बजट सत्र के अंतिम दिन आज वक्फ में संशोधन संबंधी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया। राज्यसभा और लोकसभा में कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं ने जेपीसी रिपोर्ट को लेकर खूब हंगामा मचाया। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि जेपीसी की रिपोर्ट से उनके असहमति नोट शामिल नहीं किए गए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस जेपीसी की इस रिपोर्ट को फर्जी करार दिया। खड़गे ने रिपोर्ट को फिर से जेपीसी के पास भेजकर संशोधित रिपोर्ट दोबारा पेश किए जाने की मांग उठाई। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, अगर विपक्ष की आपत्तियों को रिपोर्ट में शामिल करना हो तो इसमें बीजेपी को कोई आपत्ति नहीं है।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> | Delhi: In the Lok Sabha, Union Home Minister Amit Shah said, "Some members of the Opposition have raised concern that their views have not been included completely (in the Waqf JPC report). I want to say on behalf of my party that considering the concerns of the… <a href=”https://t.co/HKoQsmH0b6″>pic.twitter.com/HKoQsmH0b6</a></p>— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1889968536673812825?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 13, 2025</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
लोकसभा में अमित शाह ने विपक्ष की बोलती बंद करते हुए कहा, विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई है कि वक्फ जेपीसी रिपोर्ट में उनकी आपत्तियों को पूरी तरह शामिल नहीं किया गया है। मैं अपनी पार्टी की ओर से कहना चाहता हूं कि विपक्ष की आपत्तियों को आप संसदीय कार्यप्रणाली के उपयुक्त रूप में जो जोड़ना चाहें जोड़ें इसमें मेरी पार्टी को कोई भी आपत्ति नहीं है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने रिपोर्ट पर कहा, मैं जेपीसी का मेंबर था और बहुत अफसोस की बात है कि विपक्ष के नेताओं ने जो अपना विरोध दर्ज कराया, उनका विरोध भी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया।
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ पर संशोधन संबंधी जेपीसी रिपोर्ट को लेकर आपत्ति जताई। बोर्ड के अध्यक्ष अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि भारत में अपनी जायदाद पर जितना हक हिंदुओं और सिखों का है, उतना ही मुस्लिमों का भी है। हमारे देश के संविधान में हमें धार्मिक मामलों को अपने तरीके से चलाने का हक है और कॉमन सिविल कोड इस पर प्रहार है।