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Maharashtra Political Crisis: चाचा शरद पवार से बगावत तो की, लेकिन नंबर गेम में फंस गए अजित पवार!

ajit pawar

मुंबई। एनसीपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अजित पवार ने रविवार को अपने चाचा और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के खिलाफ बगावत की थी। उन्होंने 8 अन्य विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार ज्वॉइन कर ली। अजित पवार को शिंदे सरकार के डिप्टी सीएम के तौर पर और 8 विधायकों को मंत्रीपद की शपथ भी दिला दी गई, लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक चाचा से बगावत करने वाले अजित पवार और उनके साथ के मंत्री बनने वाले लोग नंबर गेम में फंस गए हैं। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार खेमे में सिर्फ 29 एनसीपी विधायक ही हैं। ये पार्टी में कानूनी तौर से टूट के लिए जरूरी संख्या से कम है। अजित पवार को कम से कम 35 एनसीपी विधायकों का समर्थन चाहिए। ऐसे में आज का दिन महाराष्ट्र की सियासत में नए सियासी उठापटक का गवाह बन सकता है।

अजित पवार और एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्षों में से एक प्रफुल्ल पटेल ने रविवार को दावा किया था कि उनके साथ 40 विधायक हैं। अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने ये भी कहा कि पार्टी में कोई टूट नहीं हुई है और वे ही एनसीपी हैं। हालांकि, साथ में कितने विधायक हैं? इस सवाल पर अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल कुछ भी कहने से बचते दिखे थे। उनका कहना था कि कुछ वक्त तक इंतजार कीजिए। अजित पवार और पटेल ने ये दावा भी किया था कि एनसीपी का नाम और चुनाव चिन्ह घड़ी उनकी ही है और इसी नाम और चुनाव चिन्ह से वे अगले सभी चुनाव लड़ने वाले हैं। अब अगर नंबर गेम में अजित पवार और बागी फंसे, तो उनके सामने बस दो ही रास्ते रह जाएंगे।

अगर कम से कम 35 विधायकों का समर्थन अजित पवार के गुट को नहीं हासिल हुआ, तो उनके पास पहला रास्ता ये होगा कि 2019 की तरह वो वापस अपने चाचा शरद पवार के फिर से शरणागत हो जाएं। 2019 में अजित पवार ने शरद पवार का साथ छोड़कर देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में डिप्टी सीएम पद लेकर 80 घंटे सरकार चलाई थी। जिसके बाद एनसीपी में वापस चले गए थे। दूसरा रास्ता अजित पवार खेमे के पास ये है कि अगर सदस्यता जाती है, तो वे दोबारा चुनाव लड़ें। अब देखना ये है कि आज महाराष्ट्र में एनसीपी में आए बवंडर में क्या ताजा घटनाक्रम होता है। कुल मिलाकर अजित पवार और उनके खेमे के लिए आज का दिन अहम है।

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