नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि विदेशियों को हर मामले में शरणार्थी नहीं माना जा सकता। खासकर ऐसे लोगों को शरणार्थी नहीं मान सकते, जो अवैध तौर पर घुसे हैं। केंद्र सरकार ने रोहिंग्या के अवैध तरीके से भारत में रहने को राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर डालने वाला भी करार दिया है। केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भारत ने 1951 के शरणार्थी समझौते और 1967 के शरणार्थी प्रोटोकॉल पर दस्तखत भी नहीं किए हैं।
केंद्र सरकार ने कोर्ट से ये भी कहा है कि वो इस मामले में दखल न दे, क्योंकि किसी व्यक्ति को शरणार्थी के तौर पर मान्यता का मसला नीति से संबंधित फैसला है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल हुई है। इसमें जेल, हिरासत केंद्र या किशोर गृह में रखे रोहिंग्या को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने कोर्ट में ये भी कहा है कि संबंधित रोहिंग्या को बिना कारण बताए या विदेशी नागरिक संबंधी एक्ट के उल्लंघन के लिए हिरासत में रखा गया है। केंद्र ने कहा है कि अपने नागरिकों को प्राथमिकता देना जरूरी है। मोदी सरकार ने ये भी कहा है कि विदेशियों को शरणार्थी के तौर पर पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता। जबकि उन्होंने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया। मोदी सरकार ने कोर्ट में ये भी कहा है कि भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दिए जाने वाले शरणार्थी कार्ड को भी मान्यता नहीं देती है। कुछ रोहिंग्या इस कार्ड को लेकर भारत में घुसे हैं।
अब आपको बताते हैं कि रोहिंग्या कौन हैं। रोहिंग्या मुस्लिम हैं। वे म्यांमार के रखाइन प्रांत के निवासी हैं। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों का एक गुट आतंकवादी घटनाओं से भी जुड़ा है। म्यांमार के रखाइन प्रांत में बौद्धों के साथ रोहिंग्या मुस्लिमों का जबरदस्त टकराव भी होता रहा है। हिंसा के कारण रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश से होते हुए भारत पहुंचे हैं। भारत में अवैध तरीके से हजारों रोहिंग्या पहुंचे हैं। इनमें से तमाम को सरकार ने हिरासत में भी लिया है। भारत के अलावा बांग्लादेश में भी लाखों रोहिंग्या घुसे हुए हैं। वहां की सरकार ने इनको कॉक्सबाजार इलाके में अलग से बाड़बंदी बनाकर रखा हुआ है।