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वोटिंग के दिन कुमार विश्वास ने केजरीवाल का नाम लिए बिना कहा- ‘पिछले 5 साल के कलंक धोने का..’

इससे पहले कुमार विश्वास ने केजरीवाल के खास कहे जाने वाले अमानतुल्लाह खान को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था कि, 'जिस अमानती गुंडे और उसके जोड़ीदार शरजिल इमाम से शुरू करवाया था उन्हें ही भेज कर उठवा दो,कह किस से रहे हो ?

Kejriwal And Kumar Vishwas

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 8 फरवरी को सुबह 8 बजे से वोटिंग शुरू हो गई है। इसको लेकर लोग अपने घरों से निकलने लगे हैं। वहीं कवि कुमार विश्वास ने वोटिंग के दिन सुबह 10 बजे के आसपास एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। हालांकि उन्होंने अपने ट्वीट में केजरीवाल का नाम नहीं लिया।

कुमार विश्वास ने अपने ट्वीट में लिखा कि, ‘पिछले 5 साल के कलंक धोने का समय है दिल्ली वालो वोट की चोट से समाज,देश, आशाओं,सेना,मित्रता व भरोसे की हत्या करने वाले राजनैतिक एडस आत्ममुग्ध बौनों के निकृष्ट मंसूबे ध्वस्त करने का समय है निकलो घरों से,बताओ कि बना सकते हो तो अंहकारी शिशुपालों को मिटा भी सकते हो।’

कुमार विश्वास के इस ट्वीट पर मनोज मिश्रा ने लिखा कि, ‘बिल्कुल सही, यह आत्ममुग्ध बौना दिल्ली के लिए प्रदूषण और देश के लिए आतंकवादी ताकतों से भी बड़ा खतरा है। याद रहे पृथ्वीराज को मोहम्मद गोरी ने नहीं बल्कि जयचंद ने हराया था, यही मौका है देश को जयचंद से बचाने का। दिल्ली की कुर्सी देशविरोधी ताकतों के हाथ ना जाए’

सौरव राय ने लिखा कि, ‘हम इतने समझदार थोड़े हैं आज भी हम फ्री चीजें देख सारी मुद्दे को घर में भुल आते हैं अभी भी हमें सिर्फ अपने निजी स्वार्थ दिखती है तभी तो यह नेता आज भी हमें मदारी के बंदर की तरह अपने इशारों पर नचाते रहते हैं।’

अंकित तिवारी ने लिखा कि, ‘शाहीन बाग के आसपास के लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है की जो लोग भारत के कानून ,संविधान का मजाक बनाकर महीनों से सड़कें जाम करके बैठे हैं आज उन्हें प्रत्यत्तर दें ,उस भाषा में जिसमें वो समझें।’

बता दें कि कुमार विश्वास अक्सर अपने ट्वीट से केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। इससे पहले उन्होंने केजरीवाल के खास कहे जाने वाले अमानतुल्लाह खान को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था कि, ‘जिस अमानती गुंडे और उसके जोड़ीदार शरजिल इमाम से शुरू करवाया था उन्हें ही भेज कर उठवा दो,कह किस से रहे हो ? खुद का दांव जब खुद पर उल्टा पड़ने लगा तो ये बयानबाज़ी? चादर लगी फटने तो प्रसाद लगा बंटने।’

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