नई दिल्ली। गांदरबल में हुए आतंकी हमले में सात लोगों की निर्मम हत्या के मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है। एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, घटना स्थल से बरामद गोलियां MP6 राइफल की हैं, जो आमतौर पर चीन और तुर्की में निर्मित होती हैं। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि हमलावर विदेशी आतंकवादी थे, जिन्होंने संभवतः पुंछ या गुरेज से घुसपैठ कर राज्य में प्रवेश किया होगा।
अगर ये आतंकवादी स्थानीय होते, तो AK-47 या 9mm पिस्तौल का इस्तेमाल करते, जो आमतौर पर स्थानीय आतंकी समूहों द्वारा उपयोग की जाती हैं। यह तथ्य इस बात को और भी पुख्ता करता है कि हमलावर बाहरी थे।
@jpchordiya_5 जम्मू कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमला !
6 लोगों की मौत की खबर है जिसमें 1 डॉक्टर भी हैसेना इलाके को कब्जे में लेकर search ऑपरेशन चला रही है
कुछ समय से घाटी में हिंसा में तेजी से इजाफा हुआ है !#GandarBal #JammuAndKashmr #TertorAttack pic.twitter.com/RdRF6N2E0s
— amir soyal (@SohailK23647527) October 21, 2024
हमले की टाइमिंग महत्वपूर्ण
इस आतंकी हमले की टाइमिंग भी काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि यह हमला सभी नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण से ठीक एक रात पहले किया गया। जानकारों का मानना है कि आतंकवादियों का मकसद यह बताना था कि घाटी में अभी भी उग्रवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इस हमले में आतंकवादियों ने मुख्य रूप से गैर-स्थानीय लोगों को निशाना बनाया, लेकिन कुछ स्थानीय नागरिक भी इस हिंसक वारदात का शिकार हो गए।
TRF ने ली जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट) ने ली है। भारतीय सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, TRF को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने स्थापित किया है। इस संगठन में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल हैं। TRF कश्मीरी पंडितों, मुस्लिमों और हिंदुओं की हत्या से जुड़े कई हमलों में शामिल रहा है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाने और वहां की सरकारी योजनाओं को बाधित करने का प्रयास कर रहा है।
जम्मू कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमला…आतंकी हमले में 7 लोगों की मौत…#TerroristAttack pic.twitter.com/E8nAsi1djm
— Shivam Kashyap 🇮🇳 (@XShivJi) October 21, 2024
धारा 370 हटने के बाद TRF की बढ़ी गतिविधियां
विशेष रूप से, 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद TRF की आतंकी गतिविधियों में तेजी आई है। कई मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के बजाय TRF ने हमलों की जिम्मेदारी ली है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य कश्मीरी पंडितों, सरकारी अधिकारियों, प्रवासी श्रमिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाना है। TRF, कश्मीर में अस्थिरता बनाए रखने के साथ-साथ पुनर्वास योजनाओं में बाधा डालने की लगातार कोशिश कर रहा है।
यह हमला स्पष्ट रूप से राज्य में शांति बहाल करने के प्रयासों को विफल करने और आतंकी गतिविधियों के जरिए भय का माहौल बनाने का प्रयास है। सुरक्षा बलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है और इस हमले के दोषियों को पकड़ने के लिए सभी संभावित ठिकानों पर कार्रवाई जारी है।