जोशीमठ। उत्तराखंड के जोशीमठ में भू धंसाव से 700 से ज्यादा घरों और 2 होटलों को नुकसान पहुंचा है। दर्जनों परिवारों को सुरक्षित जगह ले जाया गया है। दोनों होटलों को गिराने का काम जारी है। इस बीच, खबर ये है कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने जोशीमठ के मामले में नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में एनडीएमए ने कहा है कि जोशीमठ के हालात के बारे में केंद्र और उत्तराखंड सरकार का कोई भी अफसर मीडिया से बात नहीं करेगा। बताया जा रहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने जोशीमठ में भू धंसाव पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट को भी एनडीएमए के आदेश के बाद इसरो की साइट से हटा लिया गया।
हालांकि, इसरो की रिपोर्ट के मसले पर शुक्रवार को अलग-अलग जानकारी सामने आई थी। कुछ सूत्रों का कहना था कि इसरो ने जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव के बारे में कोई रिपोर्ट जारी ही नहीं की। जबकि, मीडिया ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि जोशीमठ में काफी समय से भू धंसाव हो रहा था और पिछले साल अक्टूबर से अब तक ये भू धंसाव बड़ा रूप ले चुका है। भूवैज्ञानिक एसपी सती ने इस मामले में सवाल खड़े किए हैं। उनके मुताबिक किसके दबाव में इसरो की रिपोर्ट साइट से हटाई गई? उन्होंने इसे गलत फैसला बताया। भूवैज्ञानिक का कहना है कि अगर हम भू धंसाव की रिपोर्ट नहीं दिखाएंगे, तो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इसे जारी कर देगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक काम में दखल देना ठीक नहीं है।
वहीं, भारतीय और जर्मन वैज्ञानिकों की भी जोशीमठ पर शोध रिपोर्ट सामने आई है। ये रिपोर्ट आईआईटी रुड़की और यूनिपोट्सडैम ने तैयार की थी। ऋषिकेश से जोशीमठ तक के नेशनल हाइवे नंबर 7 पर भू धंसाव पर रिपोर्ट में इसकी कई वजह बताई गई हैं। एक शोध के बाद तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमालय इलाके में सड़कों का जाल बिछाने से भू धंसाव हो रहा है। इसके अलावा बदलते मौसम और धामों की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की तादाद भी इसके लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट में बताया गया है कि नेशनल हाइवे नंबर 7 के आसपास भविष्य में भी भू धंसाव का बड़ा खतरा है।