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Debacle For Pakistan In UNSC: छब्बे बनने चला पाकिस्तान बन गया दुबे!, सुरक्षा परिषद की 4 अहम कमेटियों का बनना चाहता था अध्यक्ष लेकिन बाकी देशों ने दिखाया ठेंगा

Debacle For Pakistan In UNSC: पाकिस्तान चाहता था कि उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सैंक्‍शन कमेटी, 1540 नॉन-प्रॉलिफेरेशन सैंक्‍शन कमेटी, 1988 तालिबान कमेटी और 1373 काउंटर टेररिज्‍म कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाए। उसे सिर्फ 1988 तालिबान सैंक्शन कमेटी का अध्यक्ष पद दिया गया और 1373 काउंटर टेररिज्म कमेटी में उपाध्यक्ष बनाया गया। हालांकि, कई देश पाकिस्तान को सभी कमेटियों का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन बाकी देशों ने ठेंगा दिखा दिया।

Pakistan Prime Minister Shehbaz Sharif

नई दिल्ली। एक कहावत है कि चौबे जी छब्बे बनने चले, लेकिन दुबे बन गए! यही हाल पाकिस्तान का हुआ है। दरअसल, पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 4 अहम कमेटियों का अध्यक्ष बनना चाह रहा था, लेकिन एक का ही अध्यक्ष बन सका। जबकि, एक अन्य कमेटी का उसे उपाध्यक्ष बनाया गया। जो सिर्फ सेरिमोनियल पोस्ट ही है। ये जानकारी अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी है।

अखबार के मुताबिक पाकिस्तान चाहता था कि उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सैंक्‍शन कमेटी, 1540 नॉन-प्रॉलिफेरेशन सैंक्‍शन कमेटी, 1988 तालिबान कमेटी और 1373 काउंटर टेररिज्‍म कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाए। उसे सिर्फ 1988 तालिबान सैंक्शन कमेटी का अध्यक्ष पद दिया गया और 1373 काउंटर टेररिज्म कमेटी में उपाध्यक्ष बनाया गया। एक अफसर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पाकिस्तान की इस चाहत की वजह से सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के बीच भी गुटबाजी हो गई। इसकी वजह से कमेटियों के अध्यक्ष और अन्य पदों पर सदस्य देशों के चुनाव में 5 महीने देरी भी हो गई। जो कमेटी जनवरी 2025 में बन जानी थी, उनको जून में बनाया गया।

अखबार को इस अफसर ने बताया कि पाकिस्तान अपनी मांग पर अड़ा हुआ था। जिसकी वजह से सुरक्षा परिषद के कई अन्य सदस्य देश भी उससे नाखुश थे। पाकिस्तान को इससे फायदे की जगह नुकसान हुआ। आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान की तरफ से भारत को घेरने की सभी कोशिश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ढेर हो गई। अफसर के मुताबिक सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन ने इन कमेटियों की अध्यक्षता हासिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। क्योंकि इन पदों का ज्यादा महत्व नहीं है और कोई भी प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में बहुमत के आधार पर ही पास होता है। कुल मिलाकर पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में बड़ी कूटनीतिक हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, पाकिस्तान की मीडिया इतरा रही है कि उनके मुल्क को सुरक्षा परिषद में अहम कमेटियों का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद मिला है।

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