नई दिल्ली। बीते दिनों प्रतिबंधित किए गए संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में बताया है कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए पीएफआई को खाड़ी देशों से फंड मिलता था। फंड हासिल करने के लिए पीएफआई ने खाड़ी देशों में संगठित ढांचा भी तैयार किया था। ईडी ने पिछले हफ्ते दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में ये चार्जशीट दाखिल की है। ईडी की चार्जशीट में है कि पीएफआई ने कई संस्थाओं और लोगों से साझेदारी कर रखी थी। गैर कानूनी तौर पर धन जुटाया जाता था। इसे पीएफआई के बैंक खातों में चंदे के तौर पर जमा किया जाता था।
ED has filed Prosecution Complaint against Popular Front of India (PFI) and three of its office-bearers namely Perwez Ahmad, Mohammad Ilias and Abdul Muqueet. The Special Court (PMLA), Patiala House, New Delhi has taken cognizance of the prosecution complaint.
— ED (@dir_ed) November 21, 2022
ईडी ने जिन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, उनके नाम परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत हैं। इन तीनों को 22 सितंबर को देशभर में पीएफआई के खिलाफ पड़े छापों के दौरान गिरफ्तार किया गया था। तीनों ही तिहाड़ जेल में हैं। परवेज अहमद पीएफआई की दिल्ली इकाई का चीफ था। वो फंड हासिल करने पर नजर रखता था। इलियास इसी इकाई का महासचिव था। वो एनसीआर में फंड जुटाता था। उसने बैन किए गए एसडीपीआई के प्रत्याशी के तौर पर दिल्ली विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। ईडी के मुताबिक अब्दुल मुकीत दिल्ली में पीएफआई के दफ्तर में सचिव था। वो फर्जी दान पर्ची तैयार करता था।
परवेज और इलियास को पहले दिल्ली पुलिस ने 2020 में हुए दंगों के मामले में भी गिरफ्तार किया था। ईडी की इस चार्जशीट में कोर्ट को अकाट्य सबूत दिए गए हैं। इससे पीएफआई के खतरनाक इरादों का भी पता चलता है। पीएफआई किस तरह समाज में जहर घोलता था, इसका खुलासा भी होता है। बता दें कि बिहार के फुलवारी शरीफ में पीएफआई के दस्तावेज मिले थे। जिनमें साल 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने की साजिश की बात लिखी थी। इसके अलावा मार्शल आर्ट के बहाने हिंसा करने के तरीके समझाने की कोशिश का भी खुलासा हुआ था।