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अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फिर से बढ़ी तकरार, शुरू हुई बयानबाजी

नई दिल्ली। एक तरफ राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत पर अशोक गहलोत की सरकार लोगों के निशाने पर है तो वहीं गहलोत सरकार में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपनी ही सरकार पर लगातार हमला बोले जा रहे हैं। इस वजह से गहलोत और पायलट के बीच की तकरार फिर से बढ़ती नजर आ रही है।

आपको बता दें कि अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए सचिन पायलट ने कहा है कि, ‘जिन परिवारों ने अपना बच्चा खोया है, उनके घर जाने की परंपरा शुरू की जानी चाहिए।’

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इससे पहले अशोक गहलोत ने कहा था कि, ‘जब नवजात बच्चा मरता है, तो उसके माता-पिता को बेहद दुख होता है, परिवार वाले सदमे में रहते हैं। ऐसे में उनके घर जाकर बैठने का तुक नहीं होता है, हम उनके घरों में बैठने जाएं, कभी नहीं होता है।’

पायलट ने किया गहलोत का विरोध

इसी के जवाब में पायलट ने कहा कि “अगर ऐसी कोई परंपरा है तो खत्म किया जाना चाहिए और नई परंपरा शुरू होनी चाहिए। जिन परिवारों ने अपना बच्चा खोया है, उनके घर जाने की परंपरा शुरू की जानी चाहिए।” हालांकि इस बयान को देते हुए सचिन पायलट अशोक गहलोत का नाम लेने से बचते दिखे।

वहीं गहलोत ने कहा था कि, जब नवजात बच्चा मरता है, तो उसके माता-पिता को बेहद दुख होता है, परिवार वाले सदमे में रहते हैं। ऐसे में उनके घर जाकर बैठने का तुक नहीं होता है, हम उनके घरों में बैठने जाएं, कभी नहीं होता है।

सचिन पायलट ने कुछ यूं लिया गहलोत को निशाने पर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से कई बार महिलाओं के घूंघट से परहेज करने के बयान पर सचिन पायलट ने प्रदेश पार्टी ऑफिस में कहा, ‘एक तरफ हम गलत परंपराओं को खत्म करने की बात कर रहे हैं, हम कहते हैं कि महिलाओं को घूंघट से बचना चाहिए, हम अच्छी परंपरा की बात करते हैं। अगर किसी घर में नवजात की मौत होती है, और शोक में डूबे परिवारों के आंसू पोंछने के लिए उनके घर जाने की परंपरा नहीं है तो ऐसी परंपरा शुरू होनी चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पीड़ित परिवार का दुख बांटे। शिशुओं की मौत पर कोई तीये या तेहरवीं का कार्यक्रम नहीं होता, लेकिन उनके मां-बाप के आंसू पोंछने की जिम्मेदारी हम सबकी है।

गहलोत ने साधा था पायलट पर निशाना

इससे पहले गहलोत ने प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सचिन पायलट पर निशाना साधा था। सचिन पायलट ने कोटा जाकर शिशुओं के परिवारों से मुलाकात की थी। इस पर गहलोत ने पार्टी ऑफिस पर मीडिया से कहा था कि मैंने आज तक कभी सुना नहीं कि शिशु मृत्युदर के अंदर कोई शिशु मर जाए, नहीं बच पाया और उसके यहां हम बैठने जाएं। सीएम ने कहा कि ये जो राजनीति की गई है, वो अनफॉर्च्यून राजनीति थी।

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