नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने धर्म को लेकर बड़ी बात कही है। महाराष्ट्र के नागपुर में कहा कि भले ही मरना क्यों न पड़े, हमें अपने धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए। ‘धर्मभास्कर’ पुरस्कार कार्यक्रम में मोहन भागवत ने ये भी कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। जब भी हिंदू राष्ट्र की उन्नति होती है, वो धर्म के लिए ही होती है। भगवान की इच्छा है कि सनातन धर्म का उत्थान हो। इसी वजह से हिंदुस्तान का उत्थान भी निश्चित है। डॉ. भागवत ने ये भी कहा कि धर्म इस देश का सत्व और सार है।
कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया के सार यानी प्रकृति को भारत ने धारण किया। इसी वजह से ये देश अमर और अपराजित रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म का दायरा बहुत बड़ा है। इसके बिना जीवन नहीं चल सकता। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब सबकुछ ठीक रहता है, तो हम संतों को याद नहीं करते। संतों को हम उस वक्त याद करते हैं, जब विपरीत परिस्थितियां सामने आती हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अंग्रेजों ने भारत के सत्व को मिटाने के लिए नई शिक्षा प्रणाली लागू की थी। इसी शिक्षा प्रणाली की वजह से ही देश गरीब हो गया।
आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने आगे कहा कि धर्म सिर्फ पंथ, पूजा या संप्रदाय का रूप नहीं है। धर्म के मूल सत्य, तपस्या, करुणा और शुद्धता हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने धर्म का सत्व बनाए रखा। इसी वजह से तमाम हमलों के बाद भी दुनिया के अमीर देशों में हमारा देश भी शामिल है। उन्होंने ये भी कहा कि 1600 तक हम आर्थिक रूप से दुनिया में पहले स्थान पर थे। आरएसएस प्रमुख ने ये भी कहा कि तमाम योजनाएं इसलिए बनाई गईं, ताकि भारतीय एकसाथ न आ सकें। इससे देश की माली हालत भी खराब हुई।