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Pilot Vs Gehlot: तमाम कोशिश के बाद भी गहलोत को सीएम पद से हटाने में नाकाम रहे सचिन पायलट, अब कर रहे ये कोशिश

ashok gehlot and sachin pilot

जयपुर। सचिन पायलट ने साल 2020 से राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सचिन ने तमाम कोशिश की कि किसी तरह गहलोत को सीएम की कुर्सी से हटा सकें। कांग्रेस आलाकमान तक से बात कर ली, लेकिन नाकामी हाथ लगी। अशोक गहलोत अब भी सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं। बीच में उम्मीद 2 बार सचिन पायलट की जगी भी। पहली बार, जब चर्चा हुई कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं। दूसरी बार पिछले साल सितंबर में। जब कांग्रेस आलाकमान के दूत अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर पहुंचे थे, लेकिन दोनों ही बार गहलोत और उनके समर्थकों ने सचिन पायलट की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव ही नहीं लड़ा। वहीं, उनके समर्थक विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान के दूतों के सामने ऐसी परिस्थिति बना दी कि वे बैरंग दिल्ली लौट गए।

शायद सचिन पायलट को भी अब समझ में आ गया है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत को सीएम की कुर्सी से हटाया नहीं जा सकता। ऐसे में वो चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। पिछली बार जब राजस्थान में चुनाव हुए थे, तो सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। उन्होंने खूब मेहनत की थी। जिसकी बदौलत राजस्थान में कांग्रेस को बहुमत मिला था। एक बार फिर सचिन पायलट अब किसी तरह कांग्रेस की सरकार फिर से राजस्थान में बनवाने की कोशिश में हैं। ताकि कांग्रेस आलाकमान गहलोत की जगह उनको सीएम के पद के लिए मौका दे सके। इसमें सचिन कितना कामयाब होंगे, ये अभी कहना मुश्किल है। कांग्रेस की मौजूदा सरकार तमाम झंझटों में घिरी है। सरकार पर कई आरोप हैं। ऊपर से पार्टी में गहलोत बनाम पायलट समर्थकों की खींचतान भी चल रही है।

वहीं, अशोक गहलोत लगातार सचिन पायलट पर हमलावर हैं। कोरोना, गद्दार और तमाम बातें वो सचिन पायलट के लिए कह चुके हैं। गहलोत को राजस्थान कांग्रेस का ‘जादूगर’ कहा जाता है। वो सचिन पायलट के बागी तेवरों के बावजूद कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं। समर्थक विधायकों के सचिन विरोधी बागी तेवरों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सका है। ऐसे में सचिन के लिए राजस्थान की सत्ता पिछले 5 साल में खट्टे अंगूर की तरह साबित हुई है। गहलोत से तनातनी के कारण डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद भी उनको गंवाना पड़ा है।

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