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S. Jaishankar: सोनिया गांधी ने नजरअंदाज कर दी थी काबिलियत, लेकिन पीएम मोदी ने फ्री हैंड दिया तो अमेरिका तक को हिला आए एस. जयशंकर

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नई दिल्ली। वो कहते हैं न कि हीरे की कद्र जौहरी ही करता है…यह बात  एस जयशंकर प्रसाद पर बिल्कुल सटीक बैठती है…वर्तमान में वे मोदी सरकार में विदेश मंत्री हैं और हर विवादित मसलों को जिस सूझबूझ से वे सुलझाने की दिशा में अग्रसर हैं, उसकी कल्पना शब्दों के सैलाब से परे है। भारत-पाकिस्तान से लेकर, चीन-भारत विवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध, सहित अन्य विलायती विवादित मसलों पर जिस तरह की भूमिका केंद्रीय विदेश मंत्री ने निभाई है, उसकी जितनी तारीफ की जाए, वो कम है। चलिए, इन सभी मसलों से तो आप वाकीफ ही होंगे तो अब आपको हम बताते हैं कि आखिर क्यों हमने रिपोर्ट की शुरुआत में कहा कि हीरे की कद्र जौहरी करता है। आखिर यहां हीरा कौन है, और जौहरी कौन है और उससे भी अहम बात है कि आखिर इस कथन को विदेश मंत्री के संदर्भ में ही क्यों उपयोग किया गया है। आखिर मामला क्या है। जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो चलिए पूरा माजरा हम आपको  खुलकर ही बताते हैं। तो यहां हीरा कोर्ई और नहीं, बल्कि विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद हैं और जौहरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, क्योंकि वे नरेंद्र मोदी ही हैं, जिन्होंने जयशंकर की काबिलियत को न महज सराहा, बल्कि विदेश नीति बनाने की दिशा में उनकी प्रतिभा का प्रचूर उपयोग किया और वर्तमान में उपयोग भी कर भी रहे हैं। लेकिन अफसोस पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एस जयशंकर को अपने राजनीतिक हितों की वजह से उनकी काबिलियत को कभी नहीं सराहा और न ही कभी उन्हें मौका दिया।

बात साल 2012 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन दिनों वे अन्य देशों के साथ-साथ चीन के दौरे पर भी गए थे, लेकिन पीएम मोदी को जिस तरह का जायका चीन दौरे में मिला, वैसा किसी और देश का दौरा करने में नहीं मिला था और इसकी वजह थे, मौजूदा केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद। तब जयशंकर चीन के राजदूत हुआ करते थे। लिहाजा तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जब चीन के दौरे पर गए, तो वे एस जयशंकर प्रसाद की कूटनीतिज्ञता के कायल हो गए। जिस तरह से जयशंकर ने अपनी कूटनीति के दम पर पीएम मोदी को कई बड़े हाइप्रोफाइल चेहरों से मिलवाया था, उसकी नरेंद्र मोदी उनके मुरीद हो चुके थे। पीएम मोदी को ऐसा अनुभव और जायका किसी और देश का दौरा करते दौरान नहीं मिला था और इसकी वजह बनें थे एस जयशंकर प्रसाद।

तभी पीएम मोदी की नजर एस जयशंकर जैसे हीरे पर पड़ चुकी थी और उन्होंने मन ही मन फैसला कर लिया था कि जिस दिन मौका मिला, उसी दिन इस हीरे को तराश कर मैदान में नुमाइश के लिए उतारा जाएगा। और वो मौका आया साल 2014 में, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए। लिहाजा  साल 2015  में पीएम मोदी ने सुजाता सिंह को विदेश सचिव से पद  हटाकर जयशंकर को उक्त पद पर काबिज कर दिया। पीएम  मोदी के इस फैसले का किसी ने विरोध किया, तो किसी ने समर्थन किया था। लेकिन दुबी जुबां से ही सही कांग्रेस नेताओं ने भी पीएम मोदी के इस फैसले के प्रति अपनी खुशी जाहिर की थी। माना जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी एस जयशंकर की काबिलित के मुरीद थे, लेकिन अफसोस मजबूर थे और इस मजबूरी की वजह कोई और नहीं, बल्कि कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं। सुजाता सिंह को विदेश सचिव के पद पर काबिज करने के पीछे दो वजहें थीं।

पहला कि वे विदेश मंत्रालय की सर्वाधिक वरिष्ठ अधिकारी थीं और दूसरा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की बेटी भी थीं। ऐसे में राजनीतिक हित के लिहाज से भी उन्हें विदेश सचिव के पद काबिज करना कांग्रेस के लिए जरूरी था। एक मर्तबा तो उन्होंने यहां तक ऐलान कर दिया था कि अगर उन्हें विदेश सचिव के पद पर काबिज नहीं किया तो वे इस्तीफा दे देंगी। लेकिन इस रवायत को पीएम मोदी ने बीजेपी की सरकार बनने के बाद ध्वस्त कर दिया। उन्होंने एस जयशंकर की काबिलिय तो भांपते हुए उन्हें विदेश सचिव के पद काबिज किया। वहीं, तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के बाद एस जयशंकर को विदेश मंत्री का प्रभार सौंपा गया था। वहीं, जयशंकर ने अपने आपको हर मौकों पर खुद को साबित भी कर दिखाया है। अभी हाल ही में रूस-यूक्रेन की वार्ता के दौरान फर्राटेदार रसियन में ब़ात की थी। विदेश मामलों को लेकर उनकी समझ कमाल की है, जिसका कोई सानी नहीं है। अब हमारा यह पूरा लेख आपको कैसा लगा। हमें कमेंट  कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।

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