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Women Reservation Bill: 23 साल पहले आखिरी बार संसद में आया था महिला आरक्षण बिल, हर बार हुआ जबरदस्त विरोध, पास होने पर बीजेपी को ऐसे हो सकता है फायदा

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नई दिल्ली। सूत्रों के हवाले से सोमवार रात जानकारी आई थी कि मोदी कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है और संसद के अभी चल रहे विशेष सत्र में इसे पास कराया जाएगा। हालांकि, सरकार की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। अगर महिला आरक्षण बिल को मोदी सरकार संसद से पास कराती है, तो सभी विधायिका यानी लोकसभा, राज्यसभा, राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिल जाएगा। यानी वहां 33 फीसदी सीटों पर चुनाव जीतकर महिलाएं ही पहुंचेंगी। तो अब ये भी जान लीजिए कि महिला आरक्षण का ये बिल आखिर संसद में पिछली बार कब लाया गया था और तब इसका हश्र क्या हुआ था।

साल 2010 में महिला आरक्षण बिल आखिरी बार संसद में पेश हुआ था। तब इसे हंगामे के बीच राज्यसभा में पास कराया गया था।

महिला आरक्षण बिल संसद में सबसे अंतिम बार 2010 में राज्यसभा में लाया गया था। जहां सपा और कुछ पार्टियों के सांसदों ने आरक्षण में आरक्षण का मुद्दा उठाकर इसका विरोध किया था। हंगामा कर रहे कुछ सांसदों को बाहर निकालकर तब राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया था, लेकिन लोकसभा में पास न होने की वजह से ये मामला आगे नहीं बढ़ सका। महिला आरक्षण का बिल सबसे पहले 1996 में तत्कालीन पीएम एचडी देवगौडा लेकर आए थे, लेकिन तब लोकसभा में इस बिल को विरोध का सामना करना पड़ा था। इस वजह से तब भी महिला आरक्षण बिल पास नहीं हो सका था। 1996 के बाद भी कई बार महिला आरक्षण बिल को पास कराने की कोशिश हुई, लेकिन हर बार संसद में विरोध होता रहा। इस बिल को पास कराने के लिए 2017 में सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी।

महिलाओं की बात करें, तो इस देश में करीब 48 फीसदी महिला वोटर हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 28 फीसदी महिला वोटरों ने बीजेपी को वोट दिया था। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रति महिला वोटरों का झुकाव और बढ़ा। नतीजे में पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 36 फीसदी महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया। जबकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में महज 21 फीसदी महिलाओं ने ही बीजेपी को वोट दिया था। अब माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में महिलाओं का और बढ़ा वोट लेने के इरादे से मोदी सरकार उनके लिए आरक्षण का बिल लेकर आ रही है। अगर इस बिल से महिलाओं को साधने में बीजेपी सफल होती है, तो अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है।

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