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Congress-Shivsena : महाराष्ट्र की सियासत में हंगामा, कांग्रेस पर शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा- नाना पटोले स्पीकर होते तो नहीं गिरती MVA सरकार

मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में कांग्रेस और शिवसेना के बीच तनातनी जैसी स्थिति बन गई है। दरअसल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले पर की गई टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना गुट पर तीखी प्रतिक्रिया की है। शिवसेना के मुखपत्र सामना ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को महाराष्ट्र में एमवीए सरकार के पतन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया था। कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंडे ने कहा कि शिवसेना की ओर से इस तरह की टिप्पणी करना सही नहीं है और गठबंधन सहयोगी के रूप में उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए आंतरिक फैसलों का सम्मान करना चाहिए।

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता ने साफ शब्दों में कहा, ‘कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर ‘सामना’ में की जा रही आलोचना उचित नहीं है। नाना पटोले ने जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया। इस्तीफा देने का फैसला कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियाजी गांधी की सलाह पर लिया गया था। शिवसेना को सहयोगी दल के फैसले का सम्मान करना चाहिए जो गठबंधन का मूल नियम है।’ आपको बता दें कि कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवसेना में लिखा गया है कि अगर नाना पटोले विधानसभा अध्यक्ष बने रहते तो अगली घटना टल जाती, राजनीति में इस ‘अगर-तो’ का कोई मतलब नहीं है। यह कहना भी सही नहीं है कि विधानसभा अध्यक्ष पद से नाना पटोले का इस्तीफा ही एकमात्र कारण है, जिससे एमवीए सरकार मुश्किल में आ गई। कांग्रेस पार्टी को क्या निर्णय लेना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी का भीतरी मैटर है।

आपको बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र’सामना’ में लिखा गया था कि नाना पटोले ने जल्दबाजी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे एमवीए में परेशानी हुई क्योंकि अगर नाना सदन के स्पीकर के रूप में रहते तो शिंदे गुट द्वारा विद्रोह को शांत किया जा सकता था। संपादकीय में कहा गया है कि नाना पटोले का इस्तीफा एमवीए सरकार की परेशानी की का मेन कारण था।

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