News Room Post

तबलीगी जमात मामला : विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट करने का आदेश देने से SC का इनकार

नई दिल्ली। मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए गृह मंत्रालय द्वारा ब्लैकलिस्ट करने के फैसले को चुनौती देने की विदेशी नागरिकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई 10 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। तब्‍लीगी जमात से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट करने का आदेश देने से इनकार कर दिया है।

मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये केंद्र पर है। केंद्र सरकार को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है जिस पर कानून के मुताबिक सरकार कदम उठा सकती है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को तय की है। इस बीच सरकार उन्हें उनके बारे में जारी आदेश की कॉपी देगी।

भारत में कोरोनावायरस की महामारी के दौरान निजामुद्दीन मरकज और तबलीगी जमात का नाम सुर्खियों में आया था। निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में बड़ी संख्‍या में लोग एकत्रित हुए थे और इसमें से कई लोग पॉजिटिव पाए गए थे। जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोग बाद में अपने राज्‍य लौटे थे जहां दूसरे लोगों के संपर्क में आने के कारण वहां भी कोरोना के केसों की संख्‍या में इजाफा हुआ था। तब्‍लीगी जमात के कार्यक्रम को देश में कोरोना वायरस के केसों में वृद्धि के लिए काफी हद तक जिम्‍मेदार माना गया था।

तब्लीगी जमात के विदेशी नागरिकों के वीज़ा रद्द करने के लेकर क्या आदेश जारी किए गए, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

इससे पहले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि 2765 विदेशी तबलीगी नागरिकों को निज़ामुद्दीन के जमात में भाग लेने के लिए ब्लैकलिस्ट किया है, जिसमे सभी लोगों को ट्रेस नहीं किया जा सका है।

सरकार ने बताया कि 1,906 लुकआउट सर्कुलर जारी किए गए हैं जबकि 11 राज्यों ने लॉकडाउन मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ 205 एफआईआर दर्ज की हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि उसने अब तक 2679 विदेशी तबलीगियों के वीजा रद्द कर दिए हैं जिनमें भारत के 9 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इसने कहा कि 227 विदेशी तबलीगी ने लुकआउट सर्कुलर या ब्लैकलिस्टिंग आदेश जारी करने से पहले भारत छोड़ दिया था।

Exit mobile version