नई दिल्ली। ने 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। कपिल सिब्बल का कांग्रेस से इस्तीफा देना और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए पर्चा दाखिल करना, ये सबकुछ अचानक से नहीं हुआ बल्कि ये सिब्बल का एक सोचा समझा राजनीतिक दांव था। राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने कहा था कि, ‘हम विपक्ष में रहकर एक गठबंधन बनाना चाहते हैं, ताकि हम मोदी सरकार का विरोध करें। हम चाहते हैं कि 2024 में भारत में ऐसा माहौल बने जिससे मोदी सरकार की खामियां जनता तक पहुंच सकें। मैं इसके लिए पूरी कोशिश करूंगा।’ 30 साल के लंबे राजनीतिक चोली दामन जैसे साथ के बाद सिब्बल के आखिर कांग्रेस का साथ क्यों छोड़ा और तमाम विपक्षी दलों में से समाजवादी पार्टी से ही समर्थन क्यों लिया, ये अपने आप में वो बड़े सवाल हैं जिसका जवाब हम आपको बताने जा रहे है। दरअसल, सिब्बल लंबे वक्त से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। वे कांग्रेस से नाराज नेताओं के G-23 समूह में भी शामिल थे। उन्होंने चुनावों में लगातार मिल रही हार का ठीकरा भी कांग्रेस नेतृत्व के सिर पर ही फोड़ा था। हालांकि, पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने कांग्रेस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सिब्बल ने कहा कि, ‘जब तक मैं पार्टी का हिस्सा था तब तक मैं वहां के लिए बोल सकता था लेकिन अब मेरा उस पार्टी से कोई नाता नहीं है। इसलिए मेरा बोलना ठीक नहीं है।’
अब आता है दूसरा सवाल कि सिब्बल ने सपा से ही समर्थन क्यों लिया? असल में, इसकी तीन बड़ी वजहें हैं। पहली तो ये कि, कांग्रेस में रहते हुए कपिल सिब्बल जब कभी भी पार्टी की खिलाफत करते थे तो उन्हें पार्टी प्रोटोकॉल की दुहाई दी जाती थी। यही वजह है कि सिब्बल ने निर्दलीय सियासत करने का प्लान बनाया। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान का केस लड़ने के दौरान वो लगातार अखिलेश यादव और आजम खान के संपर्क में रहे। यही कारण है कि उन्हें आसानी से सपा का समर्थन मिल गया। दूसरा बात ये कि, इन दिनों आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्ते अच्छे नहीं बताए जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि आजम खान अखिलेश से नाराज चल रहे हैं। आजम की नजदीकियां शिवपाल सिंह यादव की तरफ ज्यादा बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव आजम को मनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दो दिन पहले अखिलेश यादव ने आजम खां के बेटे और सपा विधायक अब्दुल्ला आजम से भी मुलाकात की थी। अब अखिलेश कपिल सिब्बल के जरिए आजम को साधने की कोशिश करेंगे। बताया जाता है कि सिब्बल ही वह शख्स हैं, जिन्होंने अब तक आजम खान को समाजवादी पार्टी के साथ जोड़ रखा है।
तीसरा कारण है विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश, समाजवादी पार्टी के रिश्ते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टॉलिन, आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से काफी अच्छे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कपिल सिब्बल 2024 में बीजेपी के खिलाफ एक नया विपक्ष खड़ा करना चाहते हैं। यह कांग्रेस में रहते हुए नहीं हो सकता था। यही कारण है कि सिब्बल ने समाजवादी पार्टी से अपनी नजदीकियां बढ़ाईं। सपा के सहारे वह देश के कई क्षेत्रीय दलों को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट कर सकते हैं। यह ऐसा गठबंधन होगा जो भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस का भी विकल्प होगा, यानि कि तीसरा मोर्चा। इन सब कारणों के अलावा एक वकील के रूप में कपिल सिब्बल ने जो केस लड़े वो वैचारिक तौर पर सपा जैसे दल को काफी सूट करते हैं।