रामपुर। यूपी के रामपुर में भी विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती का दिन है। शुरुआती रुझानों में यहां बीजेपी के आकाश सक्सेना ने सपा के असीम रजा पर बढ़त बना रखी है। इसके साथ ही रामपुर में जिनका सिक्का चलता रहा है, यानी आजम खान। उनकी सियासत को बड़ी चोट लगने के आसार भी दिख रहे हैं। रामपुर को आजम का गढ़ माना जाता रहा है। एक जमाने में रामपुर के नवाब खानदान का राज चलता रहा। बेगम नूरबानो यहां से कांग्रेस की सांसद चुनी जाती रहीं, लेकिन बाद में रामपुर को आजम ने सपा का गढ़ बना दिया। अब सपा का ये गढ़ अगर बीजेपी गिरा ले जाती है, तो उसके साथ ही आजम खान की सियासत को भी गहरी चोट पहुंचेगी।
रामपुर और आजम खान को एक-दूसरे का पर्याय ऐसे ही नहीं समझा जाता। रामपुर सीट को आजम खान 10 बार विधायक बनकर सपा की झोली में डाल चुके हैं। 1980 से उन्होंने इस सीट पर चुनाव लड़ना शुरू किया था। 2022 तक वो रामपुर विधानसभा का चुनाव जीतते रहे। बीच में सिर्फ एक बार 1996 में आजम को रामपुर सीट हारनी पड़ी थी। साल 2019 में वो रामपुर से लोकसभा के सांसद भी चुने गए थे। फिर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सांसदी छोड़ी। जिसके बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा रामपुर लोकसभा सीट जीती थीं। तजीन ने 7700 वोटों से यहां बीजेपी प्रत्याशी को हराया था।
आजम का कद्दावर नेता वाला चेहरा हमेशा रामपुर की जनता को भाता रहा है। यहां तक कि उनकी पैठ आसपास के इलाकों में भी है। रामपुर की ही स्वार विधानसभा सीट से आजम के बेटे अबदुल्ला आजम सपा के विधायक हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव में रामपुर नवाबी खानदान के चश्म-ओ-चिराग हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां को हराया था। अब्दुल्ला को स्वार सीट पर 53000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल हुई थी। इसी से समझा जा सकता है कि आजम खान का प्रभाव आखिर रामपुर के लोगों पर किस कदर रहा है।