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Priyank Kharge On PM Face: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक ने विपक्षी नेताओं को दी नसीहत, बोले- दिन में सपना न देखें चुनाव जीतना है बड़ी चुनौती

कलबुर्गी। विपक्षी गठबंधन की बैठक बीते दिनों दिल्ली में हुई। इस बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम पद का चेहरा बनाने का प्रस्ताव कर दिया। अब इस पर मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खरगे का बयान आया है। कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रियंक खरगे ने कहा कि अगर उनके पिता विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के पीएम पद के उम्मीदवार बनते हैं, तो ये बहुत अच्छा है, लेकिन सिर्फ दिन में सपना देखने से कुछ नहीं होगा। प्रियंक खरगे ने कहा कि पहले जो भी व्यावहारिक चुनौतियां हैं, उनका सामना करने की जरूरत है। प्रियंक खरगे का कहना था कि पहे विपक्षी गठबंधन को बहुमत हासिल करने के लिए काम करना होगा।

विपक्षी गठबंधन की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम चेहरे के तौर पर आगे किया गया था।

प्रियंक खरगे ने बहुमत हासिल करने को विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती बताया है। प्रियंक ने कहा कि उनके पिता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मामले में साफ बात कही है। कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खरगे ने कहा कि कांग्रेस के सामने अपने ज्यादा से ज्यादा सांसद जिताने की बड़ी चुनौती है। उन्होंने ये भी कहा कि विपक्षी दलों को भी देखना होगा कि उनके प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा जीतें। इसके लिए गठबंधन के दलों के बीच अच्छा माहौल बनाना होगा। प्रियंक खरगे के मुताबिक इसके बाद अन्य सवाल उठने चाहिए। बता दें कि इससे पहले मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कहा था कि पहला काम चुनाव जीतना है। इसके बाद पीएम कौन बनेगा, ये भी तय हो जाएगा।

ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने जब विपक्षी दलों की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे का नाम बतौर पीएम चेहरा आगे किया, तो इस पर किसी और दल ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन माना ये जा रहा है कि राहुल गांधी को साइडलाइन करने के लिए ही ममता और केजरीवाल ने मल्लिकार्जुन खरगे का नाम उछाला है। खास बात ये है कि विपक्षी दलों की अब तक 4 बार बैठक हो चुकी है, लेकिन अब तक सीट बंटवारे और संयोजक जैसे अहम मसले भी वे सुलझा नहीं पाए हैं। अब प्रियंक खरगे ने साफ कह दिया है कि दिन में सपना देखना सही नहीं होगा और उनके संकेत यही हैं कि इससे विपक्षी गठबंधन को लोकसभा चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

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