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विश्व किडनी दिवस 2020: ये आदतें आपके स्वस्थ किडनी(गुर्दे) को कर सकती है खराब

kidney day

नई दिल्ली। दुनियाभर में वर्ल्ड किडनी डे इस साल 12 मार्च को मनाया जा रहा है। विश्व किडनी दिवस हर साल मार्च के महीने के दूसरे सप्ताह के गुरुवार को मनाया जाता है। ऐसे में इस बार 12 मार्च को इस दिन को मनाया जा रहा है। मानव शरीर में किडनी(गुर्दा) शरीर के अंदर बनने वाली हर गंदगी को मूत्र के रास्ते बाहर निकालने का काम करता है। इसके साथ ही मानव शरीर में किडनी(गुर्दा) खून साफ करने का भी काम करती है। साथ ही मूत्र के जरिए तरल पदार्थ को बाहर निकाले का काम करती है।

आपको पता होगा कि मानव शरीर में क्रिटाइन और यूरिया के साथ फॉलिक एसिड की मात्रा अगर सामान्य स्तर से ज्यादा हो जाए तो लोगों को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं।  ऐसे में किडनी(गुर्दा) शरीर के अंदर तैयार होने वाले विषैले पर्दार्थों को बाहर निकालने का काम तो करता ही साथ ही शरीर में क्रिटाइन, यूरिया के साथ फॉलिक एसिड की मात्रा को भी बढ़ने नहीं देता है।

इस वर्ल्ड किडनी डे पर किडनी के रोग के कारण जानते है। हमारे शरीर में दो किडनी होती है, जो कमर के पास होती है। अगर एक किडनी खराब भी हो जाए तो दूसरी किडनी से मानव शरीर की गंदगी को बाहर निकालने में सक्षम तो होती है लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव भी होते हैं। जिसकी वजह से समय के साथ दूसरी किडनी के खराब होने का खतरा भी बढञ जाता है। खानपान की गलत आदतें और एल्कोहल का ज्यादा मात्रा में सेवन करने के साथ गल लाइफस्टाइल आपकी किडनी पर हमेशा से बुरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे में इन आदतों में परिवर्तन कर आप अपनी किडनी को बिल्कुल स्वस्थ्य और अपने आप को प्रसन्न रख सकते हैं।

भारत में किडनी की बीमारी में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। इसका सीधा कारण है कि लोग अपने किडनी रोग के प्रति सजग नहीं हैं। किडनी के खराब होने का पहला कारण अधिक शराब पीना। ज्यादा मात्रा में शराब पीने पर सीधा असर किडनी  पर पड़ता है। साथ ही ज्यादा देर तक मूत्र रोकना, धूम्रपान करना, नमक का ज्यादा इस्तेमाल करना और दवाईयों का ज्यादा इस्तेमाल करना इसमें खराबी आने के मूल कारण हैं।

अब जानते हैं किडनी रोग से बचाव के तरीके। किडनी में परेशानी होने पर नमक की मात्रा कम कर देनी चाहिए। रोजाना 10 से 12 ग्लास पानी पीना चाहिए। साथ ही अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए। हरी साग सब्जियां, मौसमी फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। साथ ही हर 6 महीने में पेशाब और खून की जांच करानी चाहिए। इसके साथ ही खट्टे फलों को खाने में सामिल करने की आदत डालने के साथ ही ज्यादा कड़वी चीजों के सेवन से भी बचना चाहिए।

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