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काफी रहेगा 49 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन, इसके बाद हटा देनी चाहिए पाबंदियां : आनंद महिंद्रा

नई दिल्ली। कोरोनावायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन 2.O चल रहा है। देश की ज्यादातर अर्थव्यवस्था ढीली पड़ी है। लगभग हर आर्थिक गतिविधि पर रोक लगी हुई है। बड़े बड़े व्यापारी और बिजनेस टायकून देश में लॉकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी राय रख रहे हैं।

इस बीच महिन्‍द्रा एंड महिन्‍द्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिन्द्रा ने सुझाव दिया है कि सरकार को कुल 49 दिन के बाद राष्‍ट्रव्‍यापी लॉकडाउन को व्यापक स्तर पर हटा लेना चाहिए। उनका कहना है कि यदि देश के विभिन्न हिस्सों में धीरे-धीरे लॉकडाउन को हटाया जाता है, तो औद्योगिक गतिविधियां चलाना मुश्किल होगा और इसकी गति धीमी होगी।

महिन्द्रा ने माना कि सरकार के लिए लॉकडाउन से बाहर निकलने की योजना बनाना काफी चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि अर्थव्यवस्था की तमाम चीजें एक दूसरे से काफी हद तक जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि आगे की योजना बड़े पैमाने पर संक्रमण को नियंत्रित करने और परीक्षण करने पर आधारित होनी चाहिए। केवल हॉटस्पॉट और जनता के अतिसंवेदनशील समूह को ही अलग रखा जाना चाहिए।

आनंद महिन्द्रा ने कई ट्वीट करते हुए कहा कि शोध से पता चलता है कि 49 दिन का लॉकडाउन पर्याप्‍त है। यदि सही है तो यह अवधि तय होनी चाहिए, मेरा मानना है कि लॉकडाउन यदि हटाया जाता है तो यह व्यापक स्तर पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद नियंत्रण वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर संक्रमण का पता लगाने के लिए अधिक परीक्षण होना चाहिए, जबकि केवल हॉटस्पॉट और जनता के अतिसंवेदनशील वर्ग को ही अलग रखा जाना चाहिए।

लॉकडाउन बाद की यही रणनीति होनी चाहिए। महिन्द्रा ने कहा कि यदि लॉकडाउन को धीरे-धीरे अलग-अलग क्षेत्राों में हटाया जाता है इसका मतलब होगा कि औद्योगिक गतिविधियों को चलाना काफी मुश्किल होगा। जहां तक विनिर्माण कल कारखानों की बात है उसमें यदि एक फीडर कारखाना भी बंद रहता है तो उत्पाद अंतिम स्वरूप नहीं ले पाएगा।

देश में 25 मार्च से सार्वजनिक पाबंदी लागू है। इसे दो चरणों में 3 मई तक लागू किया गया है। 20 अप्रैल से ग्रामीण अंचलों में कारखानों और कुछ अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को विनिर्दिष्ट सावधानी तथा राज्यों के निर्देशानुसार पुन: जारी करने की छूट दी गई है। गौरतलब है कि आंनद महिंद्रा अक्सर अपनी राय सोशल मीडिया पर खुलकर रखते हैं। चाहे वो देश में आर्थिक परिस्थितियों की बात हो या कोई समाजिक सरोकार की बात हो, आनंद महिंद्रा हर चीज पर अपनी राय रखते हैं।

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