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India-China Relation: भारत के सख्त रुख से चीन के तेवर पड़े ढीले!, संबंधों को सुधारने की पेशकश की

चीन का हालांकि भरोसा नहीं किया जा सकता। भारत से दोस्ती और हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे के बीच उसने 1962 में हमला किया था। बहरहाल, अब चीन एक बार फिर रिश्ते सुधारने की बात कहता दिख रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से मुद्दे सुलझाने की पेशकश की है।

jaishankar wang yi

जकार्ता। पूर्वी लद्दाख में भारत की जमीन पर कब्जा जमाने की चीन ने साजिश रची। 2020 में गलवान घाटी में उसने भारतीय जवानों से संघर्ष किया। इसमें उसके भी तमाम जवान ढेर हुए। इसके बाद भी चीन लगातार भारत को आंख दिखाता रहा। डेपसांग और डेमचोक में 2013 से ही वो भारत की जमीन पर कब्जा जमाकर बैठा है। इसके जवाब में भारत ने चीन के तमाम एप बैन कर दिए। उसके खिलाफ लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक एलएसी पर सेना तैनात कर दी। चीन के सैनिकों को पीटकर भगाने का वीडियो भी आया। ऐसे में चीन को भारत की तरफ से जो लाल आंख दिखाई गई, उसका असर अब होता दिख रहा है।

चीन का हालांकि भरोसा नहीं किया जा सकता। भारत से दोस्ती और हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे के बीच उसने 1962 में हमला किया था। बहरहाल, अब चीन एक बार फिर रिश्ते सुधारने की बात कहता दिख रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से मुद्दे सुलझाने की पेशकश की है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान की बैठक के वक्त वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से ये पेशकश की। वांग यी ने कहा कि भारत और चीन को एक दूसरे पर शक करने की जगह आपस में समर्थन करने की जरूरत है। वांग यी ने कहा कि हमें द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की भी जरूरत है।

 

बता दें कि भारत ने चीन से साफ कह दिया है कि जब तक वो एलएसी पर से अपनी सेना नहीं हटाता और भारतीय इलाकों से कब्जा नहीं छोड़ता, उससे रिश्ते सुधारने की गुंजाइश काफी कम है। चीन और भारत के सैन्य कमांडरों के बीच 19 दौर की बैठक भी हो चुकी है। चीन लगातार कहता है कि दोनों देशों को आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन वो भारत की संप्रभुता को चुनौती दे रहा है।

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