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China vs US on Taiwan: बाइडन या जिनपिंग? किसके साथ जाएगा भारत? पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद दो धड़ों में बंटी दुनिया

नई दिल्ली। कल कौन-सी तारीख थी…आप सहज ही जवाब देने के लिए आतुर हो रहे होंगे कि कल 2 अगस्त था…वाह…क्या खूब जवाब दिया है आपने…लेकिन नहीं, हम कहेंगे कि आपने जवाब तो सही दिया है, लेकिन अधूरा दिया है। अब आप कहेंगे, वो क्यों? वो इसलिए क्योंकि 2 अगस्त 2022 अब महज एक सामान्य तारीख नहीं, बल्कि इतिहास का रूप धारण कर चुकी है। ये वो इतिहास बन चुकी है, जिसे आगामी नस्लें दोहराएंगी। जिसे आगामी नस्लें पढ़ेंगी और अपने बच्चों को बताएंगी। बताएंगी आने वाली नस्लें कि कैसे अमेरिका ने विश्व बिरादरी के समक्ष चीन की दुर्गति कर डाली थी। बताएंगी कि कैसे उसकी धमकियों को नजरअंदाज कर उसे यह एहसास दिला दिया था कि अमेरिका चीन की धमकियों के आगे झुकने वालों में नहीं है। वो चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सदैव तैयार है था और हमेशा रहेगा। आइए, अब जरा आपको पूरे मामले से अवगत करा देते हैं।

जानें पूरा माजरा

दरअसल, एशियाई दौरे पर रवान हुईं अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी द्वारा ताइवान जाने के ऐलान के बाद चीन को मिर्ची लग गई। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बाकायदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को फोन कर पेलोसी को ताइवान नहीं जाने की हिदायत दे दी। जिनपिंग ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका ने उसकी बात नहीं मानी, तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। सीधे तौर पर चीन ने अमेरिका को धमकी दे डाली। लेकिन, चीन द्वारा दी गई इन धमकियों का अमेरिका पर कोई असर नहीं पड़ा। नैंसी पेलोसी भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच ताइवान पहुंचीं। ताइवान पहुंचकर नैंसी ने चीन को यह एहसास दिला दिया कि उसकी दो कौड़ियों की धमकियों का उस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन नैंसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन बौखला गया है। अपने सैनिकों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दे दिए हैं। माना जा रहा है कि चीन कोई ऐसा कदम उठा सकता है, जिसकी भारी कीमत अमेरिका के साथ-साथ कई अन्य देशों को चुकानी पड़ सकती है।

लेकिन, अब नैंसी पोलेसी के ताइवान पहुंचने के बाद पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट चुकी है। एक धड़ा चीन के पक्ष में तो दूसरा धड़ा अमेरिका के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। बता दें कि उत्तर कोरिया और रूस ने चीन का साथ देने का ऐलान किया है और ब्रिटेन ने अमेरिका का साथ देने का ऐलान किया है। अब ऐसे में सवाल यह है कि भारत किसके पक्ष में जाएगा। हालांकि, अभी तक भारत की तरफ से इस संदर्भ में कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है। उधर, चीन की बौखलाहट के बाद अमेरिका ने भी दो टूक कह दिया है कि अगर चीन की तरफ से किसी भी प्रकार का हिंसक कदम उठाया गया, तो अमेरिका करारा जवाब देने के लिए तैयार है। तो इस तरह और अमेरिका और चीन के बीच छीड़े संग्राम के बीच अब पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट चुकी है। ऐसे में भारत का क्या रुख रहता है ।इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि इससे पहले रुस यूक्रेन युद्ध के बीच भी पूरी दुनिया दो धड़ों में बंटी थीं।

वहीं, अगर ताइवान वाले मुद्दे की बात करें, तो चीन ताइवान पर अपना दावा करता है, जबकि साल 1949 से ताइवान खुद को आजाद मुल्क बताता हुआ आ रहा है, लेकिन चीन इन दावों को सिरे से खारिज करता है ।उधर, अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर चीन की तरफ से ताइवान के विरुद्ध किसी भी प्रकार का कदम उठाया जाता है, तो अमेरिका की तरफ से ताइवान को हर मुमकिन सैन्य मदद मुहैया की जाएगी। हालांकि, अभी दुनिया में बहुत कम ही ऐसे देश हैं, जिन्होंने ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है। अभी तक महज 14 देशों ने ही ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है।

अमेरिका को लेकर क्या है रुख

उधर, अगर विश्व बिरादरी में अमेरिका के रुख की बात करें, तो जहां कुछ लोग अमेरिका के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं, तो वहीं कुछ समर्थन भी कर रहे हैं। दरअसल, कुछ देशों का मानना है कि अमेरिका ने ऐसा करके चीन को उकसाने का प्रयास किया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उधर, ताइवान में भी अमेरिका के इस कदम की कुछ लोग आलोचना करते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि, कछ लोग अमेरिका के इस कदम की तारीफ भी कर रहे हैं। इन सबके बीच चीन का कहना है कि अमेरिका ने ऐसा करके वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन किया है। ऐसे में अब यह पूरा विवाद आगामी दिनों में क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम

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