वॉशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच कोरोनावायरस को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। अमेरिका चीन पर कोरोनावायरस के छिपाने का आरोप लगा रहा है। अमेरिका के मुताबिक चीनी सरकार ने वक्त रहते दुनिया को सही आंकड़े दिए होते तो आज दुनिया के आगे यह संकट नहीं खड़ा होता। अमेरिका की कई खुफिया एजेंसियां तो यहां तक बोल रही हैं कि चीन में ही कोरोनावायरस को पैदा किया गया, जिसके लिए वुहान में एक लैब के अंदर प्रयोग किए जा रहे थे।
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर एक बार फिर बड़ा हमला बोला है। चीन पर निशाना साधते हुए ट्रंप ने कहा कि इसे शुरू में ही रोका जा सकता था, लेकिन वे नाकाम रहे। ट्रंप ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते दुनिया के 184 देश ‘नरक जैसी स्थिति’ से गुजर रहे हैं। इसी बीच अमेरिकी सांसदों ने मांग की है कि निर्माण और खनिज के लिए चीन के ऊपर निर्भरता कम की जाए।
बता दें कि ट्रंप लगातार ‘अदृश्य शत्रु’ के प्रकोप के लिए सार्वजनिक स्तर पर चीन को दोषी ठहरा रहे हैं और इस संबंध में उन्होंने जांच भी शुरू की है। उन्होंने यह भी संकेत दिए हैं कि वह जर्मनी द्वारा क्षति के लिए चीन से मांगे गए 140 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा मुआवजे के बारे में सोच रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के नेताओं का मानना है कि अगर चीन शुरुआती स्तर पर इस वायरस को लेकर जानकारियां साझा करता तो वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था की हालत इतनी बुरी नहीं होती और इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जानें नहीं जाती।
ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में कहा, ‘यह 184 देशों में है। जैसा कि आप मुझे यह कहते हुए अक्सर सुन सकते हैं कि इस पर विश्वास करना मुश्किल है। यह समझ से परे है। इसे स्रोत पर ही रोका जा सकता था, जो कि चीन में था। इसे वहीं रोका जा सकता था
जो कि चीन में था। इसे वहीं रोका जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और अब 184 देश नरक से गुजर रहे हैं।’ अमेरिकी राष्ट्रपति पहले भी कोरोना वायरस को रोकने में विफल रहने के लिए चीन पर हमलावर रह चुके हैं और इसे ‘चीनी वायरस’ भी कहा है। गौरतलब है की सिर्फ अमेरिका ही नहीं, चीन पर दुनियां के कई देश सही जानकारियां छिपाने का आरोप लगा चुके हैं। चीन में कोरोना के सही आंकड़ों को लेकर WHO पर भी सवाल उठाए गए हैं।