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अब POK में घुसकर अपनी नापाक चाल चल रहा चीन, बना रहा विशाल बांध, भारत ने जताई आपत्ति

इस्‍लामाबाद। चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन भारत को मात देने के लिए लगातार कोशिश किए जा रहा है। जिसके लिए वो भारत के पड़ोसी देशों का सहारा ले रहा है। अब चीन ने भारत के कड़े विरोध के बाद पाक अधिकृत कश्‍मीर के गिलगिट-बाल्टिस्‍तान इलाके में दियामेर भाषा बांध का निर्माण शुरू कर दिया है। जिसका भारत सरकार कड़ा ऐतराज जता रही है।

बुधवार को पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस इलाके का दौरा किया। उन्‍होंने कहा कि यह पाकिस्‍तान के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा बांध होगा। उधर, भारत ने इस विवादित इलाके में चीन के बांध निर्माण का पुरजोर विरोध किया है। इमरान के साथ चाइना-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) असीम सलीम बाजवा भी मौजूद थे।

इस दौरान इमरान खान ने कहा, ‘मेरी सरकार पाकिस्‍तान के इतिहास का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रही है। यह हमारा तीसरा बड़ा बांध होगा। चीन ने पांच हजार बांध बनाए हैं लेकिन लेकिन उनके पास कुल 80 हजार बांध हैं। इससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि हमने पहले कितनी बड़ी गलतियां की हैं।’

बांध बनाने पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया

पाकिस्‍तानी पीएम ने कहा, ”बांध को बनाने का फैसला 50 साल पहले लिया गया था। बांध बनाने के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो सकती है। यह एक प्राकृतिक बांध है। इस बांध पर 40 से 50 साल पहले फैसला लिया गया था लेकिन काम आज शुरू हो रहा है। यह उन बड़े कारणों में से एक है जिसकी वजह से हमारा विकास नहीं हुआ।”

इस बीच भारत सरकार ने पीओके में चीन के बांध बनाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। भारत का कहना है कि यह इलाका उसके केंद्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर का हिस्‍सा है। पीओके में चीनी बांध बनाने का स्‍थानीय लोग जोरदार विरोध कर रहे हैं लेकिन इमरान सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।

बता दें कि भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच चीन और पाकिस्तान ने आपस में अरबों डॉलर का समझौता किया है। पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर (PoK) के कोहोला में 2.4 अरब डॉलर के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट के लिए यह समझौता हुआ है। यह प्रॉजेक्ट बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative) का हिस्सा है जिसके जरिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच कमर्शल लिंक बनाने का उद्देश्य है। इस प्रॉजेक्ट की मदद से पाकिस्‍तान में बिजली सस्ती हो सकती है।

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