नई दिल्ली। आर्थिक कंगाली से जूझ रहा पाकिस्तान दुनिया भर के सामने मदद के लिए गुहार लगा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी कोई भी देश पाकिस्तान की मदद के लिए तैयार नहीं हो रहा है। एक तुर्की ही पाकिस्तान के साथ हमेशा खड़ा हुआ दिखाई देता था लेकिन जब से सीरिया और तुर्की के बीच भूकंप आया है तब से तुर्की भी पाकिस्तान से दूरी बनाने लगा है। इधर नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कर्ज लेना उतना ही आवश्यक हो गया है, जितना कि देश के नागरिकों को बिजली-पानी देना। लेकिन खास बात यह है कि IMF से मिलने वाला अतिरिक्त बेलआउट पैकेज भी बिजली की कीमत पर ही मिलना है। यानी जब तक पाकिस्तान बिजली टैरिफ में इजाफे का वादा नहीं करता, तब तक आईएमएफ पाकिस्तान को वित्तीय रिलीफ नहीं दे सकता है।
लिहाजा पाकिस्तान के लिए आज (9 फरवरी) परीक्षा की रात है क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के अनुरोध पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की टीम आज भर ही बातचीत के लिए पाकिस्तान में रहेगी। पिछले 31 जनवरी को शुरू हुई मिशन वार्ता 9 फरवरी तक इस्लामाबाद में तय है। सूत्रों के अनुसार, आईएमएफ बिजली की कीमतों में लगभग 50% वृद्धि की मांग कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान सरकार बिजली कीमतों को 20% से 33% तक ही बढ़ाना चाहती है। इस मुद्दे पर अभी भी गतिरोध बना हुआ है। जब तक इस पर सहमति नहीं बनती, IMF लोन देने पर कड़क रुख बनाए हुए है।