नई दिल्ली। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों विस्तारवादी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। शपथ ग्रहण से पहले ही उन्होंने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य बनाने के साथ ही ट्रंप पनामा नहर को भी अमेरिका के नियंत्रण में लाए जाने की बात कह रहे हैं। अब डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड को भी अमेरिका का हिस्सा बनाना चाहते हैं। ग्रीनलैंड क्या है, आखिर क्यों ट्रंप की इस पर नजर है और इसको अमेरिका का हिस्सा बनाने से क्या फायदा होगा, इसके बारे में आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
उत्तरी अमेरिका के ऊपरी हिस्से में सफेद बर्फ से ढका इलाका ग्रीनलैंड कहलाता है। यह उत्तरी अटलांटिक महासागर में यूरोप और अमेरिका के बीच में स्थित है। ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है जो आकार में मेक्सिको और सऊदी अरब से भी बड़ा है। अब इस पर अमेरिका की नजर है। हालांकि डेनमार्क ने ट्रंप के इस सुझाव को खारिज कर दिया है कि वे अपना क्षेत्र छोड़ देंगे। ग्रीनलैंड में विशाल खनिजों और जीवाश्म ईंधनों का भंडार है। यहां बहुत से ऐसे खनिज मौजूद हैं जिनकी कीमत आज के समय में बहुत ही ज्यादा है।
यह वो खनिज हैं जिनका उपयोग मौजूदा समय में तकनीकी उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ अत्याधुनिक हथियारों में भी किया जाता है। यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाना चाहते हैं। वैसे अमेरिका के अलावा रूस और चीन की नजर भी ग्रीनलैंड पर है। ट्रंप की ग्रीनलैंड पर नजर के पीछे एक और कारण यह भी है कि वो यह नहीं चाहते कि कोई दूसरा शत्रु देश ग्रीनलैंड पर अपना आधिपत्य स्थापित कर ले जिससे अमेरिका की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो जाए। साल 2019 में भी ट्रंप ने ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाने की कोशिश की थी हालांकि उनको सफलता नहीं मिली थी।