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Bihar Election: बिहार में चुनाव से पहले गठबंधन की बाढ़, छोटे राजनीतिक दल भी चाह रहे उन्हें मिले सत्ता की मलाई

बिहार में चुनाव की घोषणा के साथ ही महागठबंधन और एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ महागठबंधन से अलग होकर जीतन राम मांझी ने जनता दल (यू), भाजपा वाले एनडीए गठबंधन में वापसी कर ली तो वहीं दूसरी तरफ RLSP को भी इस बार महागठबंधन में रहना रास नहीं आया। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की RLSP का अपने पुराने सहयोगी गठबंधन में वापसी संभव नहीं हो पाई। NDA ने RLSP को भाव नहीं दिया तो उसे एक अलग गठबंधन बनाना पड़ा है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। वहीं लोजपा भी NDA से नाराज चल रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीटों के बंटवारे में देरी और सम्मानजनक सीट की मांग को लेकर नरेंद्र मोदी, अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अधयक्ष जेपी नड्डा को भी पत्र लिखा है। क्योंकि जद(यू) की तरफ से स्पष्ट तौर पर चिराग के रूख को लेकर कह दिया गया था कि उनका गठबंधन केंद्र में भाजपा के साथ है ऐसे में उनसे सीटों के बंटवारे के बारे में बात भाजपा ही करेगी।

लेकिन इस बार बिहार में छोटे दल बड़े राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन कर बेहतर विकल्प तैयार करने के मुड में हैं। बिहार में इस बार गठबंधन का समीकरणा कुछ अलग ही नजर आ रहा है। कांग्रेस और राजद के बीच भी सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। राजद कांग्रेस को कह चुकी है कि वह अगर सीटों के बंटवारे से खुश नहीं है तो सारा फैसला उनका अपना होगा। जबकि कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि अगर उन्हें सही संख्या में सीट बंटवारे के समय नहीं मिलता है तो वह बिहार की 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयार करेंगे।

ऐसे में बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य के सियासी रण में हर रोज नए गठबंधन बनते नजर आ रहे हैं। सोमवार को एक तरफ पप्पू यादव और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन बनाने का ऐलान किया तो वहीं मंगलवार को महागठबंधन और एनडीए दोनों की सवारी कर चुके उपेंद्र कुशवाहा ने मायावती की बीएसपी और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के साथ एक नया मोर्चा बनाने का ऐलान किया।

इसके अलावा बिहार में मंगलवार को एक नए गठबंधन का भी ऐलान हुआ। लंबे समय से यूपी और बिहार में मुस्लिम वोटों के सहारे खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रही ओवैसी की AIMIM ने भी समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया। इसके पहले बिहार में सीमांचल की सीटों पर AIMIM अपने उम्मीदवार उतारती थी।

अब ऐसे में बिहार की जनता के पास गठबंधन का ही विकल्प बचता है। किसी एक पार्टी के पास अब राज्य की सत्ता चुनाव बाद भी जाने की गुंजाइश नहीं रह गई है। ऐसे में बिहार की सरकार गठबंधन के ही सहारे चलनेवाली है। लेकिन जनता के लिए इन पांच गठबंधनों में से एक को राज्य की कुर्सी सौंपने के लिए मतदान करना पड़ेगा। ऐसे में चुनाव के नतीजे ही बता पाएंगे कि राज्य में सत्ता किस गठबंधन के हाथ आनेवाली है। किस पर बिहार की जनता मेहरबान होगी।

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