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दिल्ली सरकार की सबसे बड़ी असफलता बन चुकी है कोरोना

दिल्ली में कोरोना बेलगाम हो चुका है। इसके पीछे बड़ी वजह दिल्ली सरकार (Delhi Govt) का संकट से आंखें मूंद लेना है। हालत यह हो गई कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) को आगे बढ़कर दिल्ली में कोरोना पर लगाम लगाने के लिए कमान संभालनी पड़ी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने भी दिल्ली सरकार की इस भीषण असफलता का संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि वह बताए कि कोरोना को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कहा कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति बेहद खराब है। हालात ऐसे ही रहे तो दिसंबर में स्थिति और बुरी हो जाएगी। सबसे हैरानी की बात दिल्ली सरकार के भीतर कोरोना को लेकर जारी विरोधाभास है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री एक ओर कोरोना को लेकर लोगों को सतर्क और आगाह करने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री इस बात का ऐलान करते हैं कि दिल्ली में कोरोना तेजी से घट रहा है। दिल्ली में जिस तरह से लॉकडाउन में ढील दिया गया और बेफिक्र होकर रियायतें दी गईं, उसने हालात और भी बिगाड़ दिए। ये शुरुआत शराब की दुकानों को दी गई रियायत के साथ आरंभ हुआ और देखते ही देखते अंतहीन हो गई। अब जब जमीन पर हालात बेकाबू हो चले हैं तो बेहद ही कड़े नियम बनाकर लोगों को परेशानी में डाला जा रहा है। मसलन मास्क न पहनने पर जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए कर दिया गया है। अब इसके नाम पर दिल्ली में वसूली करने और लोगों को बेवजह परेशान करने का कारोबार अलग शुरू हो गया है।

कोरोना से पैदा हुए हालात से ज्यादा चिंताजनक है केजरीवाल सरकार की बदइंजतामी। समय रहते कदम नहीं उठाये गये लेकिन जब हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं तो आनन-फानन में दिल्ली के बाजारों को बंद किया जा रहा है। राज्य सरकार ने पश्चिम दिल्ली के नांगलोई में पंजाबी बस्ती और जनता मार्केट को रविवार को यह कर बंद कर दिया कि यहां कोविड-19 के दिशा-निर्देशों की अनदेखी हो रही है लेकिन आज सुबह ही इस आदेश को वापस ले लिया गया।

नांगलोई की दोनों बाजारों को बंद करने के पीछे सरकार की दलील थी कि चेतावनियों के बावजूद यहां रेहड़ी-पटरी और खरीददार दोनों कोविड-19 निर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे, लोग मास्क नहीं लगा रहे थे, सामाजिक दूरी की धज्जियां उड़ाई जा रही थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकार अब तक चुप क्यों थी, प्रशासन आंखें मूंद कर क्यों बैठा हुआ था, समय रहते एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाये गये। क्यों कोरोना को लेकर कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया। अब बदहवासी में दिल्ली सरकार के ऐसे कदम सीधे तौर पर जनता पर चोट कर रहे हैं।

दिल्ली के आंकड़े बेहद ही भयावह हैं। रविवार को ही दिल्ली में 6,746 नए मामले सामने आए और 121 लोगों की मौत हो गई। इसके एक दिन पहले यानी शनिवार को दिल्ली में 5879 नए मामले और 111 मरीजों की मौतें दर्ज की गईं। यह पूरे देश में सबसे ज्यादा मामलों और मौतों का रिकॉर्ड है। चिंताजनक बात यह है कि हर अगला दिन कोरोना की संख्या के मामले में पिछले दिनों को बौना करता जा रहा है। अब आनन-फानन में दिल्ली में कंटेनमेंट जोन बढ़ाए जा रहे हैं। रविवार को 85 नए कंटेनमेंट जोन बढ़ने से इनकी संख्या 3359 हो गई। एक दिन पहले इनकी संख्या 3,274 थी। इसी तरह शादी विवाह में आने वाले अतिथियों की संख्या को भी 50 तक सीमित करने का कदम उठाया जा रहा है। मगर ये सारी कवायद आग लगने पर पानी डालने जैसी है। दिल्ली सरकार ने न तो आग के कारणों पर ध्यान दिया और न ही इसे रोकने के कोई इंतजाम किए। दिल्ली में कोरोना की स्थिति अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए उनके शासन की सबसे बड़ी असफलता बनकर उभरी है।

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