नई दिल्ली। मणिपुर में हालात काफी गंभीर हैं। यहां 3 मई से हिंसा शुरू हुई थी। हिंसा अब भी हो रही है। यहां तक कि उपद्रवियों ने केंद्र सरकार में विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर तक फूंक डाला। 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। हिंसा के 50 दिन में 10000 के करीब घरों को जला दिया गया है। इसके अलावा आगजनी की 4000 घटनाएं हो चुकी हैं। हिंसा की वजह से 50000 लोग मणिपुर से भागकर असम और मिजोरम पलायन कर चुके हैं। केंद्र सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए अनुच्छेद 355 के तहत कानून और व्यवस्था का काम अपने हाथ ले रखा है। अब मोदी सरकार ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक और कदम उठाया है।
सभी दलों को मोदी सरकार की तरफ से 24 जून को मणिपुर मामले में सर्वदलीय बैठक में बुलाया गया है। विपक्षी दल मणिपुर के मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग लगातार कर रहे थे। ये बैठक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ होगी। अमित शाह बीते दिनों खुद हालात का जायजा लेने मणिपुर गए थे। वहां उन्होंने हिंसा पर उतारू मैतेई और कुकी आदिवासियों से शांति बहाली का आग्रह किया था। शाह के मणिपुर दौरे के बाद कुछ हद तक हिंसा कम हुई, लेकिन अभी भी घटनाएं जारी हैं। पूरे मणिपुर को सेना और अर्धसैनिक बलों के हवाले किया गया है। सेना और अर्धसैनिक बल के जवान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और पुलिस थानों से लूटे गए हथियार भी काफी संख्या में बरामद किए हैं।
मणिपुर हाईकोर्ट के एक निर्देश के बाद ये हिंसा शुरू हुई थी। दरअसल, मैतेई समुदाय ने मणिपुर हाईकोर्ट में अर्जी देकर खुद को जनजाति घोषित करने की अपील की है। मैतेई समुदाय का कहना है कि अंग्रेजों के वक्त उनको जनजाति माना जाता था। मैतेई समुदाय की इस अर्जी पर हाईकोर्ट ने मणिपुर सरकार का जवाब मांगा था। मैतेई को जनजाति का दर्जा दिए जाने का कुकी आदिवासी विरोध कर रहे हैं। इसी वजह से दोनों समुदायों के बीच हिंसा का दौर चल रहा है।