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अमित मालवीय ने खोली कृषि कानून पर AAP के दोहरे चरित्र की पोल, अपने ही जाल में फंस गई AAP

Amit Malviya kejriwal

नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद को किसानों के साथ होने की बात कई बार कह चुके हैं। ऐसे में वो मोदी सरकार पर निशाना साधने से भी बाज नहीं आते। फिलहाल सीएम अरविंद केजरीवाल अब उन्हीं बातों को लेकर मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं जिन बातों को उन्होंने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। बता दें कि ट्विटर पर भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने केजरीवाल की पार्टी का वही घोषणा पत्र शेयर कर उनपर निशाना साधा है और उनके दोहरे चरित्र को सबके सामने लाने की कोशिश की है। बता दें कि अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, “अरविंद केजरीवाल ने किसानों को उकसाने का काम किया है, लेकिन उनका दोहरापन देखिए …उन्होंने न केवल दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों को अधिसूचित किया, बल्कि AAP ने 2017 के पंजाब चुनाव के घोषणा पत्र में कृषि बाजारों में निजीकरण और APMC में संशोधन कर किसानों को राज्य से बाहर बेचने की अनुमति देने का वादा किया था।’

इससे पहले भी अमित मालवीय केजरीवाल पर निशाना साध चुके हैं। बता दें कि इससे पहले एक ट्वीट में भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को लेकर दावा किया था कि दिल्ली की सरकार का किसानों से कुछ लेना-देना नहीं है। वो किसानों के प्रति अपना प्रेम दिखाकर महज दिखावा कर रही है। मालवीय का कहना था कि, केजरीवाल सरकार ने 23 नवंबर को नए किसान कानून को दिल्ली में लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। अब यह कानून लागू होना शुरू भी हो चुका है।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के आइटी विंग के इंचार्ज अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि नए किसान कानून को केजरीवाल सरकार दिल्ली को जलाने के लिए मौका देख रहे हैं। उन्होंने दिल्ली सरकार की अधिसूचना को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, “दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने नए किसान कानून को लागू करने के लिए 23 नवंबर को अधिसूचना जारी कर दी है और इसे लागू करना भी शुरू कर दिया है।”

गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने नए किसान कानूनों को किसान विरोधी बताया था। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था कि, “केंद्र सरकार के तीनों खेती बिल किसान विरोधी हैं। ये बिल वापिस लेने की बजाय किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है, उन पर वॉटर कैनन चलाई जा रही हैं। किसानों पर ये जुर्म बिलकुल ग़लत है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन उनका संवैधानिक अधिकार है।”

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