आजमगढ़। यूपी के आजमगढ़ में शनिवार को एक बार फिर समाजवादी पार्टी की ओर से मुस्लिम कार्ड खेला गया। ये कार्ड पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने खेला। गोपालपुर के नसीरपुर इलाके में जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान ने कहा कि मेरा ये जुर्म है कि मैं मुसलमान हूं। मुसलमान मां के पेट से जन्म लिया और गुनहगार बन गया। आप से गुजारिश करने आया हूं। कोई कमी रह गई हो, तो मैं अपने उन कमजोर हाथों से अपने छोटे भाई (धर्मेंद्र यादव) के लिए वोट मांगता हूं, जिससे दाल का पानी और रोटी खाकर आया हूं। उम्मीद है, आप मुझे मायूस नहीं करेंगे।
आजम खान ने आगे कहा कि आज तक भारत के किसी मुसलमान ने रामचंद्र जी, सीता जी या कृष्ण जी की गुस्ताखी में एक भी शब्द नहीं कहा। अगर किसी ने कहा हो, तो सबूत दीजिए। हम खुद उसको सजा देंगे। आजम ने इसके बाद नूपुर शर्मा का नाम लिए बगैर कहा कि फिर कुछ लोग मेरे कुरान की, मेरे नबी की तौहीन क्यों करते हैं, ये हक कहां से मिल गया आपको? आजम ने आगे कहा कि याद रखना, अपनी किताब और कुरान की हिफाजत खुद अल्लाह करेगा।
ये तो था आजम का मुस्लिम कार्ड, लेकिन ये कार्ड आखिर उन्होंने आजमगढ़ में क्यों खेला? इसकी वजह दरअसल यहां वोटों का समीकरण है। 1996 से ये सीट पांच बार सपा जीत चुकी है। 2014 और 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद बीजेपी आजमगढ़ सीट नहीं हासिल कर सकी थी। पिछली बार के लोकसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां से सांसद बने थे। उन्होंने बीजेपी के निरहुआ को हराया था। इस सीट पर यादव और मुस्लिम का गठजोड़ देखा जाता रहा है। दोनों ही सपा के कोर वोटर हैं और इन दोनों समुदायों के कुल वोट मिलाकर 40 फीसदी होते हैं। इसके अलावा आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 22 फीसदी दलित, 21 फीसदी गैर यादव ओबीसी और 17 फीसदी सवर्ण वोटर हैं। माना जा रहा है कि इसी वजह से आजम को सपा ने यहां मुस्लिम वोटों को थामने के लिए भेजा। क्योंकि पिछले दिनों ये खबर आई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद और दंगों के आरोपी मुस्लिमों के घर गिराए जाने के मसलों पर सपा की चुप्पी से मुसलमान नाराज हैं।