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Politics: अखिलेश के आजमगढ़ में उतार दिया उम्मीदवार लेकिन आजम के लिए रामपुर में खुला छोड़ दिया मैदान, मायावती का गेमप्लान समझिए

mayawati akhilesh

लखनऊ। साल 2019 का लोकसभा चुनाव बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा चीफ अखिलेश यादव ने मिलकर लड़ा था, लेकिन दोनों को उसमें मुंह की खानी पड़ी। इसके बाद मायावती ने अखिलेश यादव पर अपने वोट बीएसपी के लिए ट्रांसफर न करा पाने समेत कई आरोप लगाकर गठबंधन तोड़ लिया था। मायावती ने तब ये एलान भी किया था कि उनकी पार्टी जहां जीतने की हालत में नहीं होगी, वहां उनके सपोर्टर सपा को हराएंगे। उसी एलान पर मायावती अब भी टिकी हुई हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में इसका नजारा दिख चुका है। अब बारी अखिलेश यादव के गढ़ यानी यूपी की आजमगढ़ लोकसभा सीट की है।

अखिलेश यादव को उनके ही मजबूत इलाके आजमगढ़ में झटका देने की तैयारी मायावती ने की है। मायावती ने यहां से अपनी पार्टी का उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को बनाया है। अखिलेश यादव 2019 में आजमगढ़ से सांसद बने थे। इस बार यूपी चुनाव में मैनपुरी सीट से विधायक बनने पर उन्होंने आजमगढ़ की सांसदी छोड़ दी थी। चर्चा इसकी है कि अखिलेश का इरादा आजमगढ़ से अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाने की है। मायावती का गेमप्लान शायद यही है कि डिंपल को आजमगढ़ से जीतने न दिया जाए। ताकि अखिलेश को जोर का झटका लगे। इसके अलावा मायावती ने एक और गेम खेला है। जिसका नतीजा अभी दिखना बाकी है।

ये सबको पता है कि जेल जाने के बाद आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्तों में कुछ खटास आ गई है। मायावती के अखिलेश को झटका देने के गेम में आजम खान भी फिट होते दिख रहे हैं। मायावती ने आजम खान की छोड़ी रामपुर लोकसभा सीट से किसी को चुनाव न लड़ाने का फैसला किया है। हालांकि, बीएसपी की तरफ से कहा गया है कि रामपुर में पार्टी मजबूत नहीं है। इस वजह से वहां से किसी को उपचुनाव नहीं लड़ाया जाएगा, लेकिन पिछले दिनों मायावती के बयानों पर गौर करें, तो वो जेल में रहे आजम खान से सहानुभूति दिखाती नजर आई थीं। आजम खान के जेल से रिहा होने पर मायावती ने उनके समर्थन में ट्वीट भी किया था। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम ने अपने बोल बिगाड़ते हुए रामपुर के डीएम को मायावती के जूते साफ कराने की धमकी दी थी। अब आजम के खिलाफ बीएसपी का उम्मीदवार न उतारना भी मायावती के अखिलेश विरोधी गेम का फिलहाल हिस्सा लग रहा है। हालांकि, सियासत में तमाम बातें छिपी ही रहती हैं। ऐसे में देखते हैं कि मायावती अपने गेम में कितना सफल होती हैं।

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