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Indo-China Border Dispute: ड्रैगन ने पहली बार कबूली PLA सैनिकों की मौत की बात, ग्लोबल टाइम्स में खुलासा

Galwan Valley And Global times

नई दिल्ली। चीन जिस तरह से लद्दाख सीमा पर अपनी चालें चल रहा है उससे साफ है कि उसके मंसूबे ठीक नहीं हैं। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के जरिए चीन अक्सर पड़ोसी देशों पर अतो जरूर बताई गई थी लेकिन पनी भड़ास निकालता रहता है। फिलहाल गलवान घाटी की घटना को लेकर चीन ने अब माना है कि इस झड़प में चीन के सैनिकों की भी मौत हुई थी। बता दें कि इसके पहले चीन(China) ने अपनी तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया था। भारत की तरफ से इस झड़प को लेकर शहीद सैनिकों की संख्या तो जरूर बताई गई थी लेकिन चीन इस बारे में दुनिया को कुछ नहीं बताया। हालांकि अब चीन के प्रोपेगेंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स(Global Times) के संपादक ने इसको लेकर पहली बार माना है कि 14 जून की रात को गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारतीय सैनिकों (Indian Army) के साथ झड़प में चीन के सैनिकों की मौत हुई है।

चीन द्वारा स्वीकार किए जाने में यह जरूर कहा गया है कि गलवान घाटी में हुई झड़प में चीनी सैनिकों की मौत हुई थी लेकिन चीन इस बात पर भी जोर दे रहा है कि भारत के मुकाबले चीनी सैनिकों की मौत कम हुई थी। बता दें कि 14 जून की रात को लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी और भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे, चीन को भी भारी नुकसान हुआ था और इस घटना को लेकर ऐसा माना जाता है कि चीन के 40 से ज्यादा सैनिक इस झड़प में मारे गए हैं।

चीन सीमा विवाद को लेकर गुरुवार को संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बयान दिया कि भारतीय सैनिकों (Indian Army) के साथ झड़प में चीन के सैनिकों को भारी नुकसान हुआ है।

वहीं ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन ने ट्वीट में रक्षा मंत्री के इस बयान को गलत बताया और कहा कि उनकी जानकारी कहती है कि भारत के मुकाबले उनके कम सैनिक मारे गए हैं। ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने यह भी कहा कि किसी भी चीनी सैनिक को भारतीय सेना ने बंदी नहीं बनाया था जबकि चीन की सेना ने कई भारतीय सैनिकों को बंदी बनाया था।

बता दें कि गलवान घाटी की घटना के 3 महीने से ज्यादा समय के बाद चीन ने माना है कि गलवान घाटी में उसके सैनिकों की मृत्यु हुई है और यह मानने के बाद भी वह अपना झूठा प्रोपेगेंडा चला रहा है। हो सकता है कि आगे चलकर जब चीन के ऊपर अपनी जनता का दबाव बढ़े तो वह पूरी सच्चाई जनता के सामने रखे लेकिन फिलहाल वह दुनिया के सामने झूठ ही फैला रहा है।

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